सनातनी दुनिया व आयुर्वेदिक पद्धति के सहारे जीवन यापन, करें योग रहें निरोग



देख रहा हूँ,कई छोटे छोटे शहरों में भी कोरोना का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।किसी को डरा नही रहा हूँ,सिर्फ सत्य बता रहा हूँ,ये कोरोना लगभग लगभग एक बार तो हर किसी को होना ही है।

जिसकी इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता)अच्छी होगी,उसे पता भी नही चलेगा कि कोरोना आया भी की नही आया,जिसकी इम्युनिटी थोड़ी कम होगी,उसे हल्का बुखार , खांसी , सांस लेने में तकलीफ दो चार दिन होगी,फिर सब ठीक हो जाएगा।

जो उम्र दराज लोग है, (60 वर्ष से ऊपर) उन्हें कुछ दिन ICU की ज़रूरत पड़ सकती है।

जो प्राइवेट हॉस्पिटल अफोर्ड नही कर सकता,सरकारी हॉस्पिटल में कोरोना मरीज की,उसमे मृत्यु दर अधिक है,


सीनियर डॉक्टर्स हॉस्पिटल आ नही रहे है,जूनियर डॉक्टर्स की ड्यूटी लगाई हुई है,जिनकी मरीज को पानी की बोतल तक देने में गांव फट रही है।

200,300 रुपये साफ सफाई करने वाले वार्ड बॉय को दे दो तो वही पानी की बोतल भर कर मरीज को दे रहा है।

अच्छा एक बात बहुत अच्छी है कि, कोरोना पेशेंट की अगर अच्छे से देखभाल हॉस्पिटल या घर हो रही है तो 100 में से 95 लोग ठीक हो रहे है।जो बहुत अच्छा रेशो है।

अब आता हूँ मुख्य ओर बेहद ज़रूरी मुद्दे पर। #ज़रा_ध्यान_दीजियेगा ।

ये चाइना ने ऐसा कोरोना वायरस दिया है जो साला दिखता तक नही है,ओर इसने सारी धरती को हिला कर रख दिया है। खैर, मोदी जी इसकी गांव का गुड़गांव बनाने लद्दाख पहुंच कर वापस आ गए है।ये सच है,इस विषय मे विस्तार से दूसरी पोस्ट लिखूंगा।

दोस्तों आज कोरोना महामारी आयी है,कल को कोई और आ सकती है,परसो कोई और.....

इन सबसे अगर बचकर रहना है,की दोबारा हम लोगो को,कम से कम भारत के लोगो को दोबारा ऐसी महामारी ओर इस महामारी की वजह से दोबारा इतनी बड़ी समस्याओ का सामना न करना पड़े,फिर से किसी बबलू को अपने पिताजी को 14 दिन किसी हॉस्पिटल में छोड़ना पड़े, सारे घरवालो को ऐसी महामारी से जूझना न पड़े।

तो सीधा सीधा आज से ही बिना सोचे समझे,आयुर्वेद को अपनाओ,स्वदेशी ही अपनाओ।

मुझे ओर मेरे घरवालो को हल्दी,लोंग, इलायची,काली मिर्च,गिलोय की बेल,तुलसी के पत्ते, चीजों से सभी को सुरक्षित रखा है।

भगवान की कृपा से, पिछले दस दिनों की रिपोर्ट में हम सभी कोरोना नेगेटिव हो चुके है।

एक बार फिर कह रहा हूँ,यदि आप लोग आयुर्वेद को अपनाते हो,तो आपको डरने की बिल्कुल भी ज़रूरत नही है,ओर वैसे भी कोरोना की ताकत मात्र 15 परसेंट ही बची है।

लेकिन लापरवाही आपके घर के सदस्य की ऐसी हालत भी कर सकती है कि एम्बुलेंस से उतरकर हॉस्पिटल की व्हिलचेयर पर बैठने में ही सांस उखड़ जाए।


मेरे पापा बिल्कुल हष्ट पुष्ट है,रोज योगा करते, स्वास्थ्य बिल्कुल ओके रहता है,वजन बिल्कुल सन्तुलित है,
मुझे ओर पापा को कोई देखता तो बड़े और छोटे भाई कहता था।

उसके बावजूद भी इस कोरोना ने ज़रा सी लापरवाही होते ही उन्हें अपनी ज़बरदस्त चपेट में ले लिया।

ज़्यादा मॉर्डन बनना छोड़ो,ज़रूरत से ज़्यादा कमाई जमीन जायदाद पर ध्यान लगाने की बजाय, अपने स्वदेशी ओर आयुर्वेद पर ध्यान केंद्रित कीजिये,जिससे हम उस जीवन को जी सके,जिसके लिए हमने जन्म लिया है।

अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत कीजिये,अपने परिवार को समय दीजिये,अपने माता पिता को समय दीजिये,बचपन मे जो खेल खेलते थे,उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ी को ट्रांसफर कीजिये,

साला गोबर,मिट्टी में भी खेलते थे तो कोई बीमारी छूती भी नही थी।

जबसे मॉर्डन बने है,ब्लड शुगर,ब्लड प्रेशर,थायराइड तो मुह खोले हमारे 25-26 साल तक के युवाओं को अपनी चपेट में ले लेता है।और ऊपर से ये कोरोना।

दिल्ली के ग्रामीण ओर शहरी दोनो परिवेश में पला बढ़ा हूँ, जामुन का पेड़ बहुत बड़ा होता है,बचपन मे जामुन तोड़ते हुए एक मधुमखही के छत्ते पर हाथ लग गया था,मधुमखियों ने हमला कर दिया,लगभग दो मंजिला इमारत जितनी उचाई से कूद कर भाग गया था,ऐसी एक नही अनेक हरकते मेरे बचपन की है,शायद इन्ही खेलकूद  भागदौड़ की हरकतों की वजह से मेरा इम्यूनसिस्टम बहुत अच्छा है।वरना जितना हॉस्पिटल , हॉस्पिटल मैंने पिछले दिनों खेला है,अतिशयोक्ति अलंकार के साथ कहूँ तो,ये कोरोना मुझे 200,300 बार हो गया होगा।लेकिन कोई लक्षण मुझे नाम मात्र भी नही हुए।

क्योंकि प्रतिदिन मै हल्दी,लोंग, इलायची,काली मिर्च,गिलोय की बेल,तुलसी के पत्ते,  सभी का एक काढ़े के रूप में इस्तेमाल करता था।

मतलब टोटली आयुर्वेद,पूरी तरह से स्वदेशी।

आप भी कीजिये,क्योंकि मुझे नही लगता कि कोरोना किसी को बख्शेगा।

ओर आयुर्वेद को अपनाने के बाद मुझे नही लगता किसी को छू भी पायेगा।

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