बचपन की अकल्पनीय दुनिया, प्रेम का अद्भुत नजारा

1-मित्रता का अदभुत उदाहरण ,एक दूसरे के प्रति समा जाने की अकल्पनीय मिसाल--------
2-बचपन की यादें कैसे खेला कैसे पढ़े कैसे जिया बचपन ,याद कर करके तरोताजा होती अविष्वसनीय यादें 

 
✨पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया..

जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा-
मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे  स्वरुप को धारण किया है....

अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा।

दूध बिकने के बाद 
जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है..

अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा 
और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा..
दूध से पहले पानी उड़ता जाता है 

जब दूध मित्र को अलग होते देखता है 
तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है, 

जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है।


पर 
इस अगाध प्रेम में..
थोड़ी सी खटास-
(निम्बू की दो चार बूँद) 
डाल दी जाए तो 
दूध और पानी अलग हो जाते हैं..

थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है।

रिश्ते में..
खटास मत आने दो॥
"क्या फर्क पड़ता है,
हमारे पास कितने लाख,
कितने करोड़,
कितने घर, 
कितनी गाड़ियां हैं,

खाना तो बस दो ही रोटी है।
जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है।
I
फर्क इस बात से पड़ता है,
कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये,
कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए।😘😊
 
✍🏻 *सुनने* की आदत डालो क्योंकि
ताने मारने वालों की कमी नहीं हैं।

✍🏻 *मुस्कराने* की आदत डालो क्योंकि
रुलाने वालों की कमी नहीं हैं

✍🏻 *ऊपर उठने* की आदत डालो क्योंकि टांग खींचने वालों की कमी नहीं है।

✍🏻 *प्रोत्साहित* करने की आदत डालो क्योंकि हतोत्साहित करने वालों की कमी नहीं है!!

✍🏻 *सच्चा व्यक्ति* ना तो नास्तिक होता है ना ही आस्तिक होता है ।
सच्चा व्यक्ति हर समय वास्तविक होता है......

✍🏻 *छोटी छोटी बातें दिल* में रखने से
बड़े बड़े रिश्ते कमजोर हो जाते हैं"

✍🏻 *कभी पीठ पीछे आपकी बात चले*
तो घबराना मत ... 
बात तो 
"उन्हीं की होती है"..
जिनमें कोई " बात " होती है

✍🏻 *"निंदा"* उसी की होती है जो"जिंदा" हैँ मरने के बाद तो सिर्फ "तारीफ" होती है

2---*Be Positive..*👍 📔कहानी रफ़ कॉपी की📔
.............................................

👥जब हम पढ़ते थे तो हर subject की कॉपी अलग थी।
लेकिन एक ऐसी कॉपी📖 थी जो हर subject को संभालती थी।
उसे हम कहते थे "रफ़ कॉपी"📔

यूँ तो रफ़ कॉपी📔 का मतलब खुरदुरा होता है।
लेकिन ये हमारे लिए बहुत ही मुलायम थी..

क्योकि...
1) उसके कवर पर हमारा कोई पसंदीदा चित्र होता था।😛😛
2) उसके पहले पन्ने पर डिजाइन में लिखा हुआ हमारा नाम।😊😊
3) शानदार राइटिंग में लिखा हुआ पहला पेज।😁😁
4) बीच में लिखते तो हिंदी थे पर लगता था जैसे कई भाषाओं का मिश्रण हो।😜😜
5) अपना लिखा खुद नही समझ पाते थे।😂😂

रफ़ कॉपी📔 में हमारी बहुत सी यादें छुपी होती थी🙇🏻
वो अनकहा प्रेम...💑
वो अंजना सा गुस्सा ...😲
बेमतलब के दर्द...🙁
कुछ उदासी🙇🏻 छुपी होती थी...

हमारे रफ़ कॉपी📔 में कुछ ऐसे code words लिखते थे✍🏼
जो सिर्फ और सिर्फ हम ही समझ सकते थे😂😂

उसके आखिरी पन्नों पर वो राजा, मंत्री, चोर, सिपाही का स्कोर बोर्ड📋
वो दिल💞छू जाने वाली शायरी।
कुछ ऐसे नाम जिन्हें हम मिटाने की सोच🤔 भी नहीं सकते थे।

मतलब हमारे बैग🎒में कुछ हो न हो रफ़ कॉपी जरूर रहती थी।

लेकिन अब वो दिन काफी दूर चले गए😥
रफ़ कॉपी📔 हमसे दूर चली गयी😥

शायद पड़ी होगी घर🏠के किसी कोने में...
मेरी यादों को छुपाये हुए..🙁
सबकी नज़रों👀 से बचाये हुए..😥


न जाने कहाँ होंगे वो दोस्त👥 
न जाने कहाँ होंगी वो यादें🙁

🤔सोचता हूँ...
जब चार दिन बचेंगे ज़िन्दगी के😓
तब खोलूंगा वो रफ़ कॉपी📔
"देखूंगा चश्मे👓 में छिपे आँखों  से😰"
"पलटूंगा कपकपाती हाथों से😓"
"पढूंगा थरथराती होठों से🙁

क्योंकि अभी तो...
"जो 👀नज़रों-नज़रों👀 से होती थी, वो अल्फ़ाज़ अधूरे है"
"जो दोस्तों 👬 के साथ बिताए पल, वो याद अधूरी है"
"👲🏻बचपन में जैसे जीता था, वो अंदाज अधूरा है"
"अभी उस रफ़ कॉपी 📔में कई code words, कई सवाल हैं यारों..
जिनकी अभी हिसाब 📝 अधूरा  है।"🙇🏻
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अगर आपको भी याद है वो बचपन तो शेयर जरूर करें📲...

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