Monday, July 28, 2025

कांग्रेस सांसद अन्नू टंडन के बारे मे कैसे बनी कांग्रेस की सांसद

 यह महिला अनु टण्डन मुकेश अंबानी के हर पारिवारिक समारोह में दिखती है।इनकी कहानी भी बड़ी रहस्यमई है..



मित्रों एक सच्चाई है कि भारत ही नहीं दुनिया के किसी भी देश में यदि किसी के पास 5000 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है तो वह बिना सत्ता की मदद के संभव नहीं है। 2008 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब एक ED के अधिकारी थे जिनका नाम था संदीप टंडन जो आईआरएस यानी इंडियन रिवेन्यू सर्विस के अधिकारी थे.. उनके नेतृत्व में रिलायंस हाउस तथा HSBC बैंक पर छापा मारा गया था और वहां से क्या बरामद हुआ क्या दस्तावेज मिले इसे मीडिया में नहीं आने दिया गया।फिर एक हफ्ते के बाद खबर आई की संदीप टंडन ED की नौकरी छोड़कर रिलायंस में डायरेक्टर के पद पर ज्वाइन कर लिए..अब आप कल्पना करिए...

यदि मोदी सरकार में ED किसी बिजनेस हाउस पर छापा मार और छापे का नेतृत्व करने वाला उसका असिस्टेंट डायरेक्टर एक हफ्ते के बाद उसी कंपनी में डायरेक्ट बन जाए तो विपक्ष कितना हंगामा मचाएगी। खबर यह आई की रिलायंस में डायरेक्टर संदीप टंडन जिनकी पोस्टिंग मुंबई में थी उन्हें स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में एक विला मिला था और वह 8 महीने से स्विट्जरलैंड के जरी के अपने विला में रहते थे। यहाँ तक तो कहानी समथिंग समथिंग है..आगे की कहानी और इंट्रेस्टिंग है।



स्विट्जरलैंड की मीडिया में खबरें छपती थी कि उस वक्त मनमोहन सरकार के समय सोनिया गांधी रॉबर्ट वाड्रा प्रियंका वाड्रा राहुल गांधी छुट्टिया मनाने ज्युरिक जाते थे तो संदीप टंडन के विला में ही रहते थे। जिसे उन्हें मुकेश अंबानी और HSBC बैंक ने गिफ्ट में दिया था। फिर खबर आई कि संदीप टंडन अपने घर के बाथरूम में मृत पाए गए... 



फिर यह खबर आई की संदीप टंडन के रहस्यमई मौत के बावजूद उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं करवाया गया और भारतीय दूतावास ने आनन फानन में उनके शव को मुंबई भेज कर यहां अंतिम संस्कार करवा दिया गया।

उसके बाद खबर यह आई की संदीप टंडन की विधवा पत्नी अनु टंडन को मुकेश अंबानी ने अपनी एक सॉफ्टवेयर कंपनी मोटिफ अनुदान में दे दिया। 

सेबी को यह बताया गया कि यह हमारे कर्मचारी हमारे डायरेक्टर की विधवा है इसलिए इन्हें उनके पति के निधन पर उनकी पत्नी को यह कंपनी दिया गया जबकि वह उसे कंपनी की वैल्यू उसे वक्त 3000 करोड रुपए थी। उसके बाद फिर खबर मिली कि अनु टंडन को कांग्रेस ने उन्नाव से टिकट दिया है और उनके चुनाव प्रचार के लिए शाहरुख खान कैटरीना कैफ सलमान खान सहित पूरे बॉलीवुड को भेजा गया है।

अनु टंडन एक बार सांसद रही उसके बाद दो बार फिर कांग्रेस ने टिकट दिया दोनों बार हार गई। 

अब आप सर खुजाते रहिए कड़ी से कड़ी मिलाते रहिए और सोचते रहिए की फिल्मों में जो कॉर्पोरेट और राजनेताओं का गठजोड़ दिखाया जाता है वह क्या है ? 

और कई बार सफेद पोश नेता यह कहते हैं कि हम फलाने उद्योगपति के विवाह समारोह में नहीं जाएंगे लेकिन परदे के पीछे क्या खेल करते हैं उसे भी समझ जाइए। और हा एक बार अंबानी ने कहा था कांग्रेस तो मेरी मुट्ठी में है और सरकार जेब में.

Saturday, July 26, 2025

राहुल गाँधी से भी बड़े पप्पू थे राजीव गाँधी

 भगवान का शुक्र है कि उस दौर में सोसल मीडिया नहीं था नहीं तो राहुल गांधी से भी बड़े पप्पू थे राजीव गांधी।



आज कुछ किस्से मै आपको बताने जा रहा हूं जिसे पढ़कर आप दंग रह जाएंगे कि राजीव गांधी जैसे लोग इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री भी थे..?

उनके पास सिर्फ एक ही योग्यता थी कि वो फिरोज गांधी के बेटे थे... उफ्फ माफ करना... वो पंडित नेहरू के नाती (नवासे) थे। आज राजीव गांधी के बारे में ऐसी बातें जानेंगे कि जो आपको पहले से पता नहीं होगीं..

पढ़िए 👇

राजीव गांधी कोई पढ़ाई लिखाई में अच्छे नहीं थे 5 सितारा दून स्कूल से स्कूलिंग के बाद 1961 में उन्हें इंजियनीरिंग पढ़ने लन्दन के ट्रिनिटी कॉलेज कैब्रिज भेजा गया,

यहीं पर राजीव एक छोटे से रेस्ट्रॉन्ट में वेट्रेस के तौर पर काम कर रही एडवीज अंतोनियो अल्बिना माइनो जिसे आज हम सोनिया गांधी के नाम से जानते हैं के सम्पर्क में आये,1965 तक वो भोग विलास में डूबे रहे निरंतर फेल होते रहे और पास नहीं हो सके जिसके बाद कॉलेज ने राजीव को निकाल दिया,फिर राजीव ने 1966 में लन्दन स्थित इम्पीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, किन्तु वहां भी फेल हुए,



उसी वर्ष राजीव की मां इंदिरा प्रधानमंत्री बनी और राजीव भारत आ गए, 1966 में दिल्ली फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया और प्लेन उड़ाना सीखा... 

अब 1970 में प्रधानमंत्री इंदिरा ने जुगाड़ लगवा कर राजीव को सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया में कमर्शियल पायलट के तौर पर नौकरी में लगवा दिया,

1971 में भारत पाक युद्ध हुआ भारतीय सेना व् वायु सेना को लाजिस्टिक स्पोर्ट के लिए पायलट्स की आवश्यकता थी और एयर इंडिया के कमर्शियल पायलट्स को रसद व् हथियार एयर ड्राप करने हेतु बुलाया गया,सारे के सारे पायलट्स तुरन्त युद्ध क्षेत्र में सेवाएं देने को आ गये सिवाय एक के और वो राजीव गांधी थेजो डर के मारे सोनिया गांधी संग व् इटली के दूतावास में जा छिपे थे,अगले 8 वर्षों तक राजीव के भाई संजीव ने उन्हें भोग विलास के सभी साधन उपलब्ध करवाए और खुद राजनीती में सक्रिय रह अपनी पकड़ मजबूत करते रहे.. 1980 में संजीव का काम तमाम करवाये जाने के बाद राजीव राजनीती में आये... 


1984 में इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों ने दोपहर में गोली मार दी, राजीव गांधी ने भावनाओं से ऊपर उठकर शोक संताप में समय लगाने के बजाय उसी दिन शाम को भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अपनी तशरीफ़ रख दी,और कांग्रेसियों को सिखों का नरसंहार करने का आदेश दे डाला, कांग्रेसियों ने स्कूलों के रजिस्टरों और वोटर लिस्ट निकाल निकाल कर सिखों के घर खोजे और घरों में घुसकर हजारों सिखों को काटा.. 😭

महिलाओं से बलात्कार किया.. 😭

कई गर्भवती महिलाओं को जीवित ही जला दिया,कांग्रेस नेताओं के पेट्रोल पंपों से तेल सप्पलाई किया गया सिखों को उनके बच्चो को उनकी सम्पत्तियों को फूंकने हेतु, सड़क चलते सिखों के गले में टायर डालकर जला दिया गया,यहाँ तक की राष्ट्रपति जैल सिंह को भी नहीं बख्शा गया और जब वो गाड़ी में थे तो उनपर भी कांग्रेसियों ने हमला किया,



गाड़ी के कांच तोड़ दिए गए,

दिल्ली में कांग्रेसियों का हिंसा का तांडव शुरू हुआ और शीघ्र ही ये देश के कोने कोने में फ़ैल गयाऔर राजीव गांधी ने देश भर में करीब 35000 निर्दोष सिखों को मौत के घाट उतरवाकर इंदिरा की मृत्यु का बदला लिया,और बाद में राजीव गांधी ने उसे “बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है” वाला ब्यान देकर उसे न्यायोचित ठहरा दिया,भोपाल गैस कांड हुआ हजारों निर्दोष लोगों के हत्यारे यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन को राजीव ने अमेरिकी सरकार से सौदेबाजी कर सुरक्षित अमरीका भेज दिया,क्योंकि राजीव की मां इंदिरा के बॉयफ्रेंड यूनुस खान का लड़का आदिल शहरयार जो अमेरिकी जेल में बंद था और उसे छुड़वाने हेतु राजीव ने 30,000 निर्दोष भारतियों के हत्यारे एंडरसन को अमरीका भगा दियाऔर आदिल शहरयार को छुड़वाकर भारत ले आया,वैसे कहा जाता है कि संजीव गांधी उर्फ़ संजय गांधी यूनुस खान की ही संतान था,

सच्चाई तो राम ही जाने...

1989 में बोफोर्स का घोटाला खुलाजिसमे पता चला की राजीव गांधी ने सोनिया के अत्यंत “करीबी मित्र” जिसे सोनिया अपने संग इटली से दहेज़ में लायी थी और जो सोनिया राजीव के घर में ही रहता थाउस ओटावियो कवात्रोची के द्वारा बोफोर्स सौदे में राजीव ने दलाली खायी थी,राजनितिक नौटँकियां करने में भी राजीव किसी से पीछे न थे,टीवी पर आने वाले रामायण सीरियल में राम का पात्र निभाने वाले अरुण गोविल को लेकर राजनितिक यात्राएं शुरू कीहिंदुओं को मुर्ख बनाकर उन्हें उनकी आस्था द्वारा विवश कर उनका वोट हथियाने हेतु,

1991 में Schweizer Illustrierte नामक स्विस मैगज़ीन ने काले धन वाले उन लोगों के नाम का खुलासा किया जिनका अवैध धन स्विट्ज़रलैंड के बैंकों में जमा थाऔर उसमें राजीव गांधी का भी नाम था...मैगज़ीन ने खुलासा किया कि राजीव गांधी के 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक स्विट्ज़रलैंड के बैंक के एक अकाउंट में जमा हैं1992 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया और द हिन्दू ने खबरें छापीं की राजीव गांधी को सोवियत ख़ुफ़िया एजेंसी KGB से निरंतर धन मिलता था,और रूस ने इस खबर की पुष्टि भी की थी और सफाई में कहा था कि सोवियत विचारधारा के हितों की रक्षा हेतु ये पैसे दिए जाते रहे हैं,

1994 में येवगिनिया अल्बट्स और कैथरीन फिट्ज़पेट्रिक ने KGB प्रमुख विक्टोर चेब्रिकोव के हस्ताक्षर युक्त पत्र प्रस्तुत कर ये खुलासा किया कि राजीव के बाद राजीव के परिवार सोनिया और राहुल को KGB की ओर से धन उपलब्ध करवाया जाता रहा है और KGB गांधी परिवार से निरन्तर कॉन्टैक्ट में रहती है,अब यदि आप पूरा आकलन करें तो पाएंगे कि राजीव एक कम पढ़े लिखे औसत से कम समझदार वो व्यक्ति थे जिसने 35000 निर्दोष सिख मरवाये,भोपाल गैस कांड में  30000 निर्दोषों के हत्यारे को भगाया,मुस्लिमों महिलाओं का जीवन नर्क बनाया,रक्षा सौदों में दलाली खायी,KGB जैसी एजेंसी के वो खुद एजेंट थे और उससे पैसे लेते थे, कूटनीति की समझ नहीं थीऔर मूर्खतावश श्रीलंका में 1400 भारतीय सैनिकों की बलि चढ़वाई और देश का नाम कलंकित किया


Wednesday, July 2, 2025

जबरदस्ती ब्राह्मण बनाम पिछड़ा वर्ग का मामला बनाया जा रहा है


मनोरमा यादव, नीलम यादव, ब्रजेश यादव… सारे सुनाते हैं भागवत कथा, सुनते हैं ब्राह्मण भी: इटावा की घटना में ‘जाति’ खोजने और टूट पड़ने की यह प्रवृत्ति सनातन के लिए भी खतरनाक



ऐसी राजनीति और प्रचार से बचना होगा जो समाज को बाँटने का काम करती है।


उत्तर प्रदेश के इटावा की एक घटना ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। यह मामला एक कथावाचक मुकुट मणि और उसके सहयोगियों के साथ हुई मारपीट, जातीय विवाद और छेड़छाड़ के आरोपों से शुरू हुआ, जो अब ब्राह्मण बनाम ओबीसी-दलित की तर्ज पर एक सामाजिक-राजनीतिक रंग ले चुका है।

इस पूरे प्रकरण में कई आयाम हैं – जातिगत संवेदनशीलता, सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रियाएँ और कथावाचक की शुचिता जैसे गंभीर मुद्दे।

इस लेख में हम इस मामले को विस्तार से समझेंगे। साथ ही यह भी देखेंगे कि सनातन परंपरा में कथावाचन को लेकर कोई जातिगत बाध्यता नहीं रही है। हम उन कथावाचकों के उदाहरण भी देंगे जो गैर-ब्राह्मण हैं। हम आपको इस मामले के जबरदस्त तरीके से वायरल होने के पीछे की वजह भी बताएँगे कि कैसे कुछ लोग बिना पूरा सच जाने ब्राह्मणों को निशाना बनाकर अपनी राजनीति चमकाने में लग जाते हैं।

इटावा का दांदरपुर से जुड़ा क्या है पूरा मामला

इटावा के बकेवर थाना क्षेत्र के दांदरपुर गाँव में 21 जून 2025 को श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हुआ था। कथावाचक मुकुट मणि और उनके सहयोगी संत सिंह व्यास को एक ब्राह्मण परिवार ने कथा के लिए बुलाया था। आयोजक परिवार की महिला रेनू तिवारी और उनके पति जय प्रकाश तिवारी ने आरोप लगाया कि कथावाचक ने कथा के दौरान और बाद में अभद्र व्यवहार किया।

पीड़ित रेनू का दावा है कि कथावाचक ने कलश यात्रा के दौरान उनका हाथ गलत नियत से पकड़ा और जब इसका विरोध किया गया तो धमकी दी कि वे समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के रिश्तेदार हैं।

इसके बाद मामला और गंभीर हो गया जब यह सामने आया कि कथावाचक ने अपनी जाति छिपाई थी। उनके पास दो आधार कार्ड मिले, जिनमें से एक में वे खुद को ब्राह्मण (अग्निहोत्री) बता रहे थे। ग्रामीणों को उनकी वास्तविक जाति (यादव) का पता चलने पर विवाद बढ़ा और 22 जून की रात कुछ लोगों ने कथावाचकों के साथ मारपीट की, उनकी चोटी काटी और नाक रगड़वाने की घटना हुई। इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया और बकेवर थाने में दो नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

इस घटना ने स्थानीय स्तर पर सामाजिक तनाव पैदा कर दिया। ब्राह्मण महासभा ने इसे ब्राह्मणों के खिलाफ साजिश बताते हुए कथावाचकों पर कार्रवाई की माँग की, जबकि समाजवादी पार्टी और यादव महासभा ने इसे ब्राह्मणों द्वारा ओबीसी-दलित समुदाय के उत्पीड़न के रूप में पेश किया। सोशल मीडिया पर भी इस मामले ने तूल पकड़ा और कई लोगों ने बिना पूरा सच जाने ब्राह्मणों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

सनातन परंपरा में कथावाचक के साथ कोई जातिगत बंधन नहीं

सनातन धर्म में कथावाचन और भक्ति का कोई जातिगत बंधन नहीं रहा है। यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण महाभारत की ‘व्याध गीता’ है। इस कथा में एक शिकारी (व्याध) जो निम्न माने जाने वाले समुदाय से था, वो एक ब्राह्मण को कर्म और धर्म का उपदेश देता है। यह उपदेश भगवद्गीता जितना ही महत्वपूर्ण माना जाता है। सनातन परंपरा में ज्ञान, भक्ति और कथावाचन के लिए जाति कभी आड़े नहीं आई।


मनोरमा यादव, नीलम यादव, ब्रजेश यादव… सारे सुनाते हैं भागवत कथा, सुनते हैं ब्राह्मण भी: इटावा की घटना में ‘जाति’ खोजने और टूट पड़ने की यह प्रवृत्ति सनातन के लिए भी खतरनाक

जबरदस्ती ब्राह्मण बनाम पिछड़ा वर्ग का मामला बनाया जा रहा है


ऐसी राजनीति और प्रचार से बचना होगा जो समाज को बाँटने का काम करती है।


आधुनिक समय में भी कई गैर-ब्राह्मण कथावाचक हैं, जो समाज में सम्मानित हैं और जिनकी कथाओं में लाखों लोग शामिल होते हैं। इसे कुछ उदाहरणों से भी समझ सकते हैं 


मोरारी बापू: गुजरात के प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू बनिया समुदाय से हैं। उनकी रामचरितमानस की कथाएँ देश-विदेश में लाखों लोगों द्वारा सुनी जाती हैं। उनके भक्तों में हर वर्ग के लोग शामिल हैं और उनकी सादगी और विद्वता की कोई जातिगत सीमा नहीं है।

आचार्या मनोरमा सिंह यादव: उत्तर प्रदेश की यह कथावाचक श्रीमद्भागवत महापुराण और रामकथा कहती हैं। उनकी कथाओं के यूट्यूब वीडियो को लाखों लोग देखते हैं। यादव समुदाय से होने के बावजूद उन्हें हर वर्ग का सम्मान प्राप्त है।

नीलम यादव शास्त्री: यह भी एक लोकप्रिय कथावाचक हैं, जिनके भजन और कथाएँ विशेष रूप से महिलाओं के बीच लोकप्रिय हैं। उनकी कथाओं में भारी भीड़ होती है और वे भी गैर-ब्राह्मण हैं।

हेमराज सिंह यादव: कॉमेडी और भक्ति का अनूठा मिश्रण करने वाले इस कथावाचक के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल रहते हैं। उनकी कथाओं में भी हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं। इसी तरह से मंजेश सिंह यादव भी मशहूर कथावाचक हैं।

डॉ. ब्रजेश यादव: बरेली के सर्जन डॉक्टर ब्रजेश यादव कथा वाचन के साथ-साथ रामचरितमानस की प्रतियाँ बाँटते हैं। वो नवजात शिशुओं के कानों में ‘रामभक्त बनना’ का संदेश देते हैं।


हनुमान प्रसाद पोद्दार: गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित रामचरितमानस की टीका इन्हीं की है, जो आज विश्व में सबसे अधिक पढ़ी जाती है। वे भी गैर-ब्राह्मण थे। हनुमान प्रसाद पोद्दार सनातन के रक्षक, प्रचारक थे, जिनकी वजह से सनातन संस्कृति आज विश्व के कोने कोने में है। उन्होंने सनातन विरोधियों चाहे वो जवाहरलाल नेहरू जैसे देश के ब्राह्मण प्रधानमंत्री ही क्यों न रहे हों, उन पर भी निशाना साधा और वो कभी सनातन की लड़ाई से पीछे नहीं हटे। हनुमान प्रसाद पोद्दार कभी कथावाचक नहीं रहे, बल्कि वो सनातन के रक्षक, प्रचारक और अग्रदूत थे।

ये उदाहरण साबित करते हैं कि सनातन परंपरा में कथावाचन का कोई जातिगत आधार नहीं है। गाँवों में भी अधिकांश मंदिरों के पुजारी गैर-ब्राह्मण समुदायों से हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पुजारियों की कमी के कारण कोई भी व्यक्ति, जिसे धर्म में आस्था हो, मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकता है। फिर भी कुछ लोग हर घटना को ब्राह्मण बनाम गैर-ब्राह्मण के चश्मे से देखते हैं और सामाजिक तनाव को बढ़ावा देते हैं।

इटावा मामले को लेकर अखिलेश यादव की राजनीति

इटावा का यह मामला जल्द ही राजनीतिक रंग लेने लगा। समाजवादी पार्टी के नेताओं विशेष रूप से अखिलेश यादव ने इसे ब्राह्मणों द्वारा ओबीसी-दलित उत्पीड़न के रूप में पेश किया। सपा के जिलाध्यक्ष प्रदीप शाक्य ने ब्राह्मण महासभा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अगर कथावाचकों के खिलाफ कोई आपत्ति थी, तो पहले शिकायत क्यों नहीं की गई। दूसरी ओर ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष अरुण दुबे ने इसे ब्राह्मणों के खिलाफ साजिश करार दिया और कथावाचकों पर कार्रवाई की माँग की।

सोशल मीडिया पर भी इस मामले ने तूल पकड़ा। कुछ लोगों ने बिना पूरा सच जाने वीडियो और पोस्ट के जरिए ब्राह्मणों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। 10-15 मिनट में बनाए गए वीडियो और पोस्ट वायरल हो गए, जिनमें ब्राह्मणों को जातिवादी और उत्पीड़क बताया गया। यह प्रवृत्ति गंभीर है, क्योंकि यह न केवल सामाजिक तनाव को बढ़ाती है बल्कि सनातन परंपरा की एकता को भी कमजोर करती है।

मनोरमा यादव, नीलम यादव, ब्रजेश यादव… सारे सुनाते हैं भागवत कथा, सुनते हैं ब्राह्मण भी: इटावा की घटना में ‘जाति’ खोजने और टूट पड़ने की यह प्रवृत्ति सनातन के लिए भी खतरनाक

👉 जबरदस्ती ब्राह्मण बनाम पिछड़ा वर्ग का मामला बनाया जा रहा है

👉  ऐसी राजनीति और प्रचार से बचना होगा जो समाज को बाँटने का काम करती है।*


 कुछ मीडिया पोर्टल जैसे ललनटॉप ने अपने हेडलाइन से लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की।

यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे हम बिना तथ्यों की जाँच किए सवर्णों और खास तौर पर ब्राह्मणों को निशाना बनाया जाता है।

क्यों बनते हैं ब्राह्मण आसान निशाना?

ब्राह्मण समुदाय को बार-बार निशाना बनाए जाने के पीछे कई कारण हैं। पहला, ब्राह्मणों को सामाजिक और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक माना जाता है, जिसके कारण कुछ लोग उन्हें “मनुवादी” या ‘जातिवादी’ बताकर आसानी से निशाना बना लेते हैं। दूसरा, ब्राह्मण समुदाय आमतौर पर ऐसी घटनाओं पर पलटवार नहीं करता या ‘पीड़ित’ की भूमिका में नहीं आता, जिससे कुछ लोग इसे उनकी कमजोरी मान लेते हैं। तीसरा – राजनीतिक दल और सोशल मीडिया पर सक्रिय कुछ लोग ऐसी घटनाओं को अपने निहित स्वार्थों के लिए भुनाते हैं।

इटावा मामले में समाजवादी पार्टी ने इसे हिंदुओं को तोड़ने और ब्राह्मणों को बदनाम करने का मौका बना लिया। अखिलेश यादव जैसे नेताओं ने बिना पूरा सच जाने इसे सामाजिक भेदभाव का रंग दे दिया। सोशल मीडिया पर भी कुछ लोग तुरंत वीडियो बनाकर ब्राह्मणों को कोसने लगे, बिना यह समझे कि कथावाचक ने खुद गलत व्यवहार किया था और अपनी जाति छिपाई थी।

कथावाचक की शुचिता और सामाजिक अपेक्षाएँ

कथावाचक का स्थान समाज में बहुत ऊँचा होता है। उनसे शुचिता, नैतिकता और सादगी की अपेक्षा की जाती है। इटावा मामले में कथावाचक मुकुट मणि पर छेड़छाड़ और धमकी देने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इसके अलावा उनके पास फर्जी आधार कार्ड भी मिले। सोशल मीडिया पर तो दावा किया जा रहा है कि पहले आरोपित बौद्ध कथाएँ सुनाता था और फिर भागवत कथा करने लगा। इस तरह की उसकी पिछली गतिविधियों ने भी संदेह पैदा किया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या कथावाचक की शुचिता पर सवाल उठाना गलत है? और अगर कथावाचक गलत करता है तो क्या उसे उसकी जाति के आधार पर बचाव करना चाहिए?

सनातन परंपरा में कथावाचक का धर्म और आचरण सर्वोपरि होता है, न कि उसकी जाति। अगर कोई कथावाचक गलत करता है, तो उसकी आलोचना होनी चाहिए, चाहे वह किसी भी समुदाय से हो। लेकिन इसे पूरे समुदाय पर हमला करने का मौका बनाना गलत है। इटावा मामले में कुछ लोगों ने इसे ब्राह्मणों के खिलाफ हथियार बनाया, जो न केवल अनुचित है बल्कि सामाजिक एकता के लिए भी हानिकारक है।

सच को समझने की जरूरत

इटावा का दांदरपुर मामला एक जटिल सामाजिक और कानूनी मुद्दा है, जिसमें मारपीट, छेड़छाड़, और जातिगत विवाद जैसे कई पहलू शामिल हैं। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, और एसएसपी ने दोनों पक्षों की बात सुनकर निष्पक्ष जाँच का आश्वासन दिया है। लेकिन इस मामले को ब्राह्मण बनाम ओबीसी-दलित के रूप में पेश करना और सोशल मीडिया पर त्वरित प्रतिक्रियाएँ देना सामाजिक तनाव को बढ़ाने का काम कर रहा है।

सनातन परंपरा में कथावाचन और भक्ति की कोई जातिगत सीमा नहीं है। मोरारी बापू, मनोरमा सिंह यादव, नीलम यादव और हनुमान प्रसाद पोद्दार जैसे गैर-ब्राह्मण विद्वानों-कथावाचकों ने यह साबित किया है कि भक्ति और ज्ञान का आधार आचरण और श्रद्धा है, न कि जाति। फिर भी कुछ लोग हर घटना को ब्राह्मणों के खिलाफ प्रचार करने का मौका बना लेते हैं, जो न केवल गलत है बल्कि हिंदू समाज की एकता को भी कमजोर करता है।
इस मामले में कानून को अपना काम करना चाहिए। मारपीट और छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही समाज को भी यह समझना होगा कि बिना पूरा सच जाने त्वरित प्रतिक्रियाएँ देना और किसी एक समुदाय को निशाना बनाना न केवल अनुचित है, बल्कि खतरनाक भी है। हमें ऐसी राजनीति और प्रचार से बचना होगा जो समाज को बाँटने का काम करती है।

 

♦️🌀♦️🌀♦️🌀♦️🌀♦️🌀

वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र

 वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित लगभग तीन हजार पांच सौ एकड़ का दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है। इसका प्रबंधन उद्यो...