Sunday, May 25, 2025

आखिर कैसे पाकिस्तान को पानी पिलाया हमारे अग्निवीर ने

 एक चीज़ जिस पर कोई बात नहीं कर रहा है..!!

“अग्निवीर”



पाकिस्तान बारूद - बारूद हो गया और भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि जंग अब केवल ताकत की नहीं, दिमाग की भी होती है।


ऑपरेशन सिंदूर ने जो आग लगाई,

पाकिस्तान ही नहीं, उसकी पूरी सोच झुलस गई।


निसंदेह... सेना को सलाम प्रणाम 🫡🫡


लेकिन आतंकियों के लांचपैड और कैंप......

लेकिन आतंकियों के लांचपैड और कैंप उड़ाने के बाद जब पाकिस्तानी फौज बौखला कर भारत में ड्रोन, मोर्टार और रॉकेट छोड़ती है तो भारत के डिफेंस सिस्टम के साथ भारत का कवच बनकर खड़े होते हैं हमारे👉अग्निवीर.... 


मई 2025 में हुए इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी ताक़त थे वो नौजवान जिनका नाम 'अग्निवीर' है।


उम्र सिर्फ़ 20 साल, लेकिन हौसला ऐसा कि दुश्मन की साँसें थम जाएं। ये लड़के सिर्फ़ बंदूक नहीं चलाते, ये मशीनों को अपनी उंगलियों पर नचाते हैं।


जैसे बच्चा मोबाइल चलाता है, वैसे ही इन्होंने हाईटेक मिसाइल और रडार सिस्टम ऑपरेट किए।


जब पाकिस्तान की ओर से मिसाइलें और ड्रोन दागे गए, तो भारत की एयर डिफेंस ने उन्हें सरहद से अंदर नहीं घुसने दिया। 3323 किलोमीटर लंबी सीमा, और एक भी धमाका नहीं।


यही है भारत की असली शील्ड।


इस्राइल का आयरन डोम तो बस 40 किलोमीटर संभालता है, लेकिन हमारे अग्निवीरों ने दुश्मन को कश्मीर से कराची तक रोक दिया।


पहले दिन ही भारत ने अपने कमाल के ड्रोन और ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान के 9 आतंकी अड्डे नेस्तनाबूद कर दिए।

कमाल ये कि इसमें सबसे ज़्यादा भूमिका अग्निवीरों की थी। लड़ाई सिर्फ़ मैदान में नहीं, मशीन के भीतर भी होती है – और वहां ये लड़के किसी प्रोफेशनल इंजीनियर से कम नहीं।


इनमें से हर यूनिट में करीब 150-200 अग्निवीर थे – चार अहम जिम्मेदारी निभाते हुए: गनर, फायर कंट्रोल ऑपरेटर, रेडियो ऑपरेटर और हैवी व्हीकल ड्राइवर।


इन्होंने L-70, Zu-23-2B, पेचोरा, शिल्का, ओसा, और आकाश मिसाइल जैसे सिस्टम को ऐसे चलाया जैसे बच्चा वीडियो गेम खेलता हो – मज़ाक नहीं, मिशन था।

भारत का जो नया एयर डिफेंस सिस्टम है – आकाशतीर – ये असली ब्रेन है इस पूरे ऑपरेशन का। लेकिन ब्रेन को चलाने वाला भी चाहिए।


अग्निवीरों ने इसे इतना बढ़िया चलाया कि मिसाइलें ठीक टाइम पर दागी गईं, रडार से हर मूवमेंट कैच किया गया और जवाबी हमले किए गए।


कुछ लोग कहते थे कि ये लड़के नए हैं, कम उम्र के हैं, इन्हें इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी नहीं देनी चाहिए। लेकिन इन्हीं जवानों ने दिखा दिया कि उम्र नहीं, माइंडसेट और ट्रेनिंग ज़्यादा मायने रखती है।

इनकी टेक्नोलॉजी पकड़ किसी भी आईटी इंजीनियर से कम नहीं। रडार हो या मिसाइल, कम्युनिकेशन हो या सिग्नल – सब पर इनकी पकड़ कमाल की थी।


दुनिया जब रूस-यूक्रेन युद्ध में GPS जैमिंग और ड्रोन हमले देख रही थी, भारत ने वो सब कुछ हकीकत में कर दिखाया – और वो भी अग्निवीरों के दम पर।


इस्राइली स्काल्प मिसाइल से लेकर ब्रह्मोस तक, हर हथियार का इस्तेमाल सटीक टाइमिंग के साथ हुआ।


सरगोधा, मलीर और नूरखान जैसे पाकिस्तानी एयरबेस को निशाना बनाकर भारत ने ये भी दिखाया कि अब वो इंतज़ार नहीं करता, अब वो पहल करता है। और ये पहल संभव हुई अग्निवीरों की वजह से – जो सिर्फ़ सिपाही नहीं, अब ‘डिजिटल योद्धा’ हैं।

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ़ पाकिस्तान की हार नहीं थी, ये एक जवाब था उन लोगों के लिए जो अग्निपथ स्कीम पर सवाल उठा रहे थे।


अब जब ज़मीनी सच्चाई सामने है,

तो बहस की कोई ज़रूरत नहीं बचती।


यही हैं हमारे नए अर्जुन –-----🏹🏹


जिनके पास धनुष नहीं, मिसाइल है। और जिनका सारथी कोई और नहीं, श्रीकृष्ण के रुप में देशभक्ति है।


भारत बदल रहा है,

और ये अग्निवीर उस बदलाव की पहली कतार में खड़े हैं।


इन अग्निवीरों के सम्मान में... एक नहीं.. 

कमसे कम 2 बार “जय हिन्द” जरुर लिखना 🙏


जय हिन्द 🇮🇳

जय हिन्द 🇮🇳


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