Tuesday, April 22, 2025

जो लोग कहते हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं मगर उन्होंने धर्म पूछ कर निहहत्थाे पर गोली चलाकर मौत के घाट उतारा

 जून 2018 मे महबूबा मुफ़्ती की सरकार गिरी और तब से आज तक जम्मू कश्मीर बीजेपी के ही हाथ मे है, बीजेपी ने सेना के भरोसे किया हुआ है।



सेना के विषय मे ना जाने हमें कितना पता है मगर एक बात पक्की है कि सेना 7 सालो मे जम्मू कश्मीर की बड़ी ही आसानी से 7 बार रैकी कर चुकी होंगी।


आधिकारीक तो क्या अनाधिकारीक रूप से भी यदि कोई लोकल वाला आतंकियों का साथ देता तो हमले की खबर पहले ही हो जाती। इतना ख़ुफ़िया तंत्र मजबूत होगा ही, यदि नहीं है तो ये सेना पर ही प्रश्न खड़े कर देगा मगर इसकी संभावना शून्य ही है।

ये मजबूती से खड़े होने का समय है, ये वो समय है ज़ब कुछ आकस्मिक घटनाये हो रही है। मोदीजी सऊदी अरब मे है, जेडी वेन्स भारत मे आये हुए है और ये सब आकस्मिक है। जेडी वेंस अक्षरधाम घूमने तो आये नहीं है संभव है कोई ख़ुफ़िया समझौता कर रहे हो।


वही मोदीजी सऊदी अरब के लिये निवेश का दरवाजा खोलने गए है, कुल मिलाकर जहाँ बात भारत को विश्व स्तर पर बड़ा दिखाने की हो रही है उस समय ये हमला हुआ है। 20 साल बाद गैर मुसलमानो को चुन चुनकर मारा गया है।


ये दिखाने का प्रयास हुआ कि कश्मीर और गाजा मे कोई अंतर नहीं है इसलिए दक्षिण एशिया को भी दुनिया मिडिल ईस्ट की तरह ही देखे।

दक्षिण एशिया मे वैसे भी भारत को हटा दे तो सच मे मिडिल ईस्ट वाले ही हालात है।


आसान भाषा मे ये हमला भारत को कमतर दिखाने के लिये हुआ है सारा दारोमदार इस पर है कि भारत के लोग इस हमले पर कैसी प्रतिक्रिया देते है।


यदि आप सरकार और सेना पर प्रश्न चिन्ह लगा दे तो आतंकियों का आधा काम तो हुआ समझो, उसके बाद यदि आप कश्मीर को आतंकवाद का गढ़ बता दे तो ये हमला शत प्रतिशत सफल रहा।


मुझे पता है इस समय जो राजनीतिक और सामाजिक हालात है उसके अनुसार कश्मीरी मुसलमानो को घेरना ही चाहिए। नहीं घेरा तो मेरे हिंदूवादी होने पर भी प्रश्न चिन्ह लग सकता है।

लेकिन आप विश्वास कीजिये भारत की सेना और ख़ुफ़िया तंत्र इतनी मजबूत है कि इन सात सालो मे तो हर गली नुक्कड़ पर उनका एक खबरी बैठा होगा। इसलिए बहुत कम संभावना है कि कश्मीर के मुसलमानो की इसमें भूमिका हो।


रहा सवाल वहाँ जाने या ना जाने का, तो वे यही चाहते है कि भारत के लोग किसी तरह पर्यटन बंद कर दे। कश्मीरी पंडित तो आज भी इसी डर से वापस नहीं गए, यदि पर्यटन बंद कर दिया तो कश्मीर आतंकवाद के लिये खुला जंगल रह जाएगा।


आप उत्तेजना मे कह सकते है कि कश्मीर तो आज भी खुला जंगल है, मगर 10 लाख पर्यटक हर साल जा रहे है और हमले मे मौत इसकी 1% भी नहीं है।

हालांकि जीवन को प्रतिशत से नहीं तौलना चाहिए मगर ये आंकड़ा ये बताने के लिये पर्याप्त है कि कश्मीर खुला जंगल भी नहीं है।


हमले के पीछे एक मंशा यह भी है कि भारत की छवि जो इस समय एक बड़े बाजार और उभरती अर्थव्यवस्था की है वो किसी तरह थोड़ी बहुत पाकिस्तान से भी जुड़ जाए। बड़ी बात नहीं है कि इसके पीछे चीन भी हो, इस समय जेडी वेंस की यात्रा से सबसे ज्यादा मरोड़े उसे ही उठ रही है।


इसलिए सोचने से पहले भी कुछ सोचिये, गुस्सा तो स्वाभाविक है ही मगर उस चक्कर मे बड़े खेल को नजरअंदाज मत कीजिये।


बेशक ये इस्लामिक आतंकवाद है, क्लीन चीट किसी को नहीं है लेकिन कश्मीर मे होने वाला हर हमला सिर्फ आपको पेनिक करने के लिये है।


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