Tuesday, April 22, 2025

जो लोग कहते हैं कि आतंकियों का कोई धर्म नहीं मगर उन्होंने धर्म पूछ कर निहहत्थाे पर गोली चलाकर मौत के घाट उतारा

 जून 2018 मे महबूबा मुफ़्ती की सरकार गिरी और तब से आज तक जम्मू कश्मीर बीजेपी के ही हाथ मे है, बीजेपी ने सेना के भरोसे किया हुआ है।



सेना के विषय मे ना जाने हमें कितना पता है मगर एक बात पक्की है कि सेना 7 सालो मे जम्मू कश्मीर की बड़ी ही आसानी से 7 बार रैकी कर चुकी होंगी।


आधिकारीक तो क्या अनाधिकारीक रूप से भी यदि कोई लोकल वाला आतंकियों का साथ देता तो हमले की खबर पहले ही हो जाती। इतना ख़ुफ़िया तंत्र मजबूत होगा ही, यदि नहीं है तो ये सेना पर ही प्रश्न खड़े कर देगा मगर इसकी संभावना शून्य ही है।

ये मजबूती से खड़े होने का समय है, ये वो समय है ज़ब कुछ आकस्मिक घटनाये हो रही है। मोदीजी सऊदी अरब मे है, जेडी वेन्स भारत मे आये हुए है और ये सब आकस्मिक है। जेडी वेंस अक्षरधाम घूमने तो आये नहीं है संभव है कोई ख़ुफ़िया समझौता कर रहे हो।


वही मोदीजी सऊदी अरब के लिये निवेश का दरवाजा खोलने गए है, कुल मिलाकर जहाँ बात भारत को विश्व स्तर पर बड़ा दिखाने की हो रही है उस समय ये हमला हुआ है। 20 साल बाद गैर मुसलमानो को चुन चुनकर मारा गया है।


ये दिखाने का प्रयास हुआ कि कश्मीर और गाजा मे कोई अंतर नहीं है इसलिए दक्षिण एशिया को भी दुनिया मिडिल ईस्ट की तरह ही देखे।

दक्षिण एशिया मे वैसे भी भारत को हटा दे तो सच मे मिडिल ईस्ट वाले ही हालात है।


आसान भाषा मे ये हमला भारत को कमतर दिखाने के लिये हुआ है सारा दारोमदार इस पर है कि भारत के लोग इस हमले पर कैसी प्रतिक्रिया देते है।


यदि आप सरकार और सेना पर प्रश्न चिन्ह लगा दे तो आतंकियों का आधा काम तो हुआ समझो, उसके बाद यदि आप कश्मीर को आतंकवाद का गढ़ बता दे तो ये हमला शत प्रतिशत सफल रहा।


मुझे पता है इस समय जो राजनीतिक और सामाजिक हालात है उसके अनुसार कश्मीरी मुसलमानो को घेरना ही चाहिए। नहीं घेरा तो मेरे हिंदूवादी होने पर भी प्रश्न चिन्ह लग सकता है।

लेकिन आप विश्वास कीजिये भारत की सेना और ख़ुफ़िया तंत्र इतनी मजबूत है कि इन सात सालो मे तो हर गली नुक्कड़ पर उनका एक खबरी बैठा होगा। इसलिए बहुत कम संभावना है कि कश्मीर के मुसलमानो की इसमें भूमिका हो।


रहा सवाल वहाँ जाने या ना जाने का, तो वे यही चाहते है कि भारत के लोग किसी तरह पर्यटन बंद कर दे। कश्मीरी पंडित तो आज भी इसी डर से वापस नहीं गए, यदि पर्यटन बंद कर दिया तो कश्मीर आतंकवाद के लिये खुला जंगल रह जाएगा।


आप उत्तेजना मे कह सकते है कि कश्मीर तो आज भी खुला जंगल है, मगर 10 लाख पर्यटक हर साल जा रहे है और हमले मे मौत इसकी 1% भी नहीं है।

हालांकि जीवन को प्रतिशत से नहीं तौलना चाहिए मगर ये आंकड़ा ये बताने के लिये पर्याप्त है कि कश्मीर खुला जंगल भी नहीं है।


हमले के पीछे एक मंशा यह भी है कि भारत की छवि जो इस समय एक बड़े बाजार और उभरती अर्थव्यवस्था की है वो किसी तरह थोड़ी बहुत पाकिस्तान से भी जुड़ जाए। बड़ी बात नहीं है कि इसके पीछे चीन भी हो, इस समय जेडी वेंस की यात्रा से सबसे ज्यादा मरोड़े उसे ही उठ रही है।


इसलिए सोचने से पहले भी कुछ सोचिये, गुस्सा तो स्वाभाविक है ही मगर उस चक्कर मे बड़े खेल को नजरअंदाज मत कीजिये।


बेशक ये इस्लामिक आतंकवाद है, क्लीन चीट किसी को नहीं है लेकिन कश्मीर मे होने वाला हर हमला सिर्फ आपको पेनिक करने के लिये है।


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भारत के एक और भयानक गद्दार की कहानी, इस शख्स के बारे में थोड़ा पढ़ना चाहिए कि यह महान आत्मा है कौन हैं?

 दलितों को कब तक मूर्ख समझा जाएगा और दलित मूर्ख बनते रहेंगे *भारत के एक और भयानक गद्दार की कहानी जिसने एक ही दिन मे दस हजार दलितों को मरवा डाला था।*


मित्रों ! जबसे CAA का जन्म हुआ है तबसे एक नाम बहुत तेजी से उभरकर सामने आया, CAA जरुरी क्यों है इसके लिए भाजपा के कई नेताओं ने जोगेन्द्रनाथ_मंडल का उदाहरण दिया, जब सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जोगेन्द्रनाथ मंडल का नाम लिया, भले ही दुसरे परिप्रेक्ष्य में लिया हो, तो मुझे लगा कि अब इस शख्स के बारे में थोड़ा पढ़ना चाहिए कि यह महान आत्मा है कौन हैं?


जोगेन्द्रनाथ मंडल का जन्म 1904 में बंगाल में बरीसल जिले के मइसकड़ी के एक दलित परिवार में हुआ था


मंडल1939-40तक कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के करीब आए,पर कुछ समय बाद कांग्रेस से किनारा करके मुस्लिम लीग पार्टी में चले गये।जोगेन्द्रनाथ मंडल मुस्लिम लीग के खास सदस्यों में गिना जाने लगा कारण यह था मंडल अखण्ड भारत का बहुत बड़ा दलित नेता था इतना बड़ा कि डा. अम्बेडकर जी से भी बड़ा।कहा यह भी जाता है और इसके साक्ष्य भी मौजुद है कि डॉ अम्बेडकर को मंडल ने ही लांच किया था ।*



मित्रों ! आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान का निर्माण दलित+मुस्लिम के गठजोड़ के कारण हुआ था,* आज जो लोग, दलितों के स्वघोषित नेता जय भीम जय मीम का नारा दे रहे हैं उन को एक बार मंडल को पढ़ना चाहिए जय भीम जय मीम का पहला प्रयोग मंडल ने ही किया था।और वह मंडल दलितों का बहुत बड़ा नेता था आज के नेता तो कुछ नही हैं उसके सामने यह समझ लो कि दलितो में मंडल की तूती बोलती थी।


इसलिए तो जिन्ना ने मंडल को हाथो हाथ लिया क्योंकि जिन्ना को पता था कि बिना दलितो के समर्थन के पाकिस्तान का निर्माण नही हो सकता


मित्रों जोगेन्द्रनाथ मंडल जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान के निर्माण की बात करने लगा, और दलितों से यह कहने लगा कि दलित और मुस्लिम के लिए एक अलग देश होगा। जहां हम लोगों का अच्छे से ख्याल किया जायेगा, अपना एक नया देश पाकिस्तान बनने के बाद हम सभी दलित भाई भारत छोड़कर पाकिस्तान चलेंगे और बड़े आराम से वहां रहेंगे।


जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने ताकत से असम को खंडित कर दिया, बात1947 की है। 3 जून, 1947की घोषणा के बाद असम के आसयलहेट को जनमत संग्रह से यह तय करना था* कि वह पाकिस्तान का हिस्सा बनेगा या हिंदुस्तान का, उस इलाके में हिंदु मुसलमान की संख्या बराबर थी।


हिंदू निर्णायक होता जनमत संग्रह में वह हिस्सा हिंदुस्तान के पास ही रहता पर जिन्ना की कुटिल चाल काम कर गई जिन्ना ने मंडल को असम भेजा और कहा सारे दलितों का वोट पाकिस्तान के पक्ष में डलवाओ,ऐसा ही हुआ मंडल के एक इशारे पर दलितो ने पाकिस्तान के पक्ष में वोट कर दिया क्योंकि वहां दलित हिंदू ही बहुतायत थेऔर इस प्रकार से असम का वह हिस्सा पाकिस्तान का हो गया जो कि आज बांग्लादेश में है*बड़े ही उत्साह के साथ मंडल ने जिन्ना के साथ मिलकर पाकिस्तान का निर्माण किया तथा लाखों दलितो के साथ भारत को अलविदा कहकर पाकिस्तान चला गया।


जोगेन्द्रनाथ मंडल का अब मुसलमानो का कथित सहानुभूति का भ्रम टूट चुका था मंडल को अपने गलती का एहसास तब पुरी तरह से हो गया जब पाकिस्तान में सिर्फ एक दिन में 20 फरवरी, 1950 को 10000 (दश हजार) से उपर दलित मारे गये और यह बात खुद जोगेन्द्रनाथ मंडल ने अपने इस्तीफे में कही।


जिन्ना के मौत के बाद एक लम्बा चौड़ा इस्तीफा लिखा मंडल ने,उसमें दलितो पर हो रहे भयंकर अत्याचार का जिक्र किया और पाकिस्तान सरकार आँख बंद करके सब देखती रही।अंतत: जोगेन्द्रनाथ मंडल 1950 में उसी भारत में आकर शरण लिया जिसे कभी जय भीम जय मीम के लिए तोड़ दिया था। 


लाखो दलितों को मौत के मुंह में छोड़कर जोगन्द्रनाथ मंडल एक शरणार्थी बनकर भारत आया और गुमनामी में रहने लगा शायद अपने कृत्य पर वह शर्मिंदा था।


वही दलित हिंदू धीरे धीरे शरणार्थी बनकर भारत आने लगे उन्ही शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने के लिए मोदी सरकार ने नया कानून बनाया CAA पर दु:खद यह कि जो खुद से अपने आपको दलितो का महाहितैषी घोषित किये हैं वो खुद इस कानून का विरोध कर रहे हैं और वह भी मुसलमानो के साथ मुसलमानो ने छल से फिर दलितों को मिला लिया है।

Sunday, April 20, 2025

सोनिया की राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण न जाने कितनी बलि दी गई



 पुरानी तीन घटनाएं याद दिला दूँ। मैं यहां पहले ही स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जो घटनाएं जैसी हुईं, सिर्फ वैसी ही लिखी जा रही हैं।



1. ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व राष्ट्रपति थे। उन्हें Z security प्राप्त थी। उन्होंने दिल्ली में घोषणा की - "कल मैं चंडीगढ़ पहुंचने के... बाद बोफोर्स के सारे राज खोलने वाला हूँ।" तो साहब हुआ ये कि... दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर सामने से एक ट्रक... दनदनाता हुआ... आया और जैल सिंह की कार को कुचल दिया। वे वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।



2. 2. राजेश पायलट ने कांग्रेस नेत्री की सलाह नहीं मानी। उन्होंने घोषणा की, "कल... मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद हेतु नामांकन भरूँगा।" बस फिर क्या था, सामने से एक बस आई और... उनकी कार को कुचल दिया।... वो वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।


इन दोनों घटनाओं में modus of operandi एक समान थी। तीसरी घटना में modus of operandi अलग थी।



श्रीमन्त माधवराव सिंधिया उस लोकसभा चुनाव के... पूर्व कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय व... कर्मठ नेता थे। वे लोकसभा के लिए लगातार नवीं बार चुने गए थे व... लोकसभा में विपक्ष के नेता भी थे।... कांग्रेस नेत्री ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को कहा.... "मैं प्रचार करने आ रही हूँ !" प्रदेश अध्यक्ष निर्भीक था। उसने कहा, "आप मत आइए।... माधवराव जी को भेज दीजिए। वे ही वोट दिलवा सकते हैं।" बस फिर क्या था। माधवराव जी को बोला गया कि आप अपने.... व्यक्तिगत विमान से नहीं बल्कि इस... विमान से जाएंगे। एक... चश्मदीद किसान ने बयान दिया, "विमान में पहले बम विस्फोट हुआ, फिर आग लगी।"... विमान में सवार... आठों लोग मारे गए लेकिन... कोई जांच नहीं हुई। अल्प... काल के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी मृत पाए गए। (डॉ. ईश्वर चन्द्र करकरे की कलम से साभार) 🖊️

इसी तरह से 1965 की लड़ाई के विजेता पीएम... श्री लाल बहादुर शास्त्री जी... डॉ होमी जहांगीर भाभा... के साथ 2500... से ज्यादा इसरो और डीआरडीओ के साइंटिस्ट और टॉप इंजीनियर बहुत ही संदेहपूर्ण स्थिति में मारे गए... जिनकी कोई जांच तक भी नही की गई... जिसमे 2014 में बीजेपी के आने के बाद स्तिथि पर पर काबू पाया गया...

सोनिया गांधी ने देश के लिए क्या-क्या काम किया है? 🤨



■ राजीव गांधी अपने पूरे जीवन काल मे कुल 181 रेलिया की थीं। जिसमें... 180 में सोनिया गांधी भी उसके साथ थी, बस उस... दिन साथ नहीं थी... जिस दिन राजीव गांधी के जीवन की... अंतिम रैली हुई।


■ राजीव गांधी की हत्या के समय 14 लोगों की... भी मौत हुई थी। मगर मजे की बात इन मरने वाले 14 लोगों में एक भी... कोंग्रेसी नेता नहीं था, जो भी... मरे आम लोग थे। क्या ये सम्भव है कि देश के... प्रधानमंत्री की रैली में उनके साथ एक भी बड़ा... कोंग्रेसी नेता नहीं हो?


■ राजीव गांधी के साथ कोई बड़ा या छोटा कांग्रेसी नेता नहीं मरा, ना सोनिया गांधी जो हर सभा में राजीव गांधी जी के साथ रहतीं थीं। उस दिन होटल में सरदर्द के कारण रुक गईं थी, ये... आफिशियल स्टेटमेंट हैं।

तो क्या सबको मालूम था, कि क्या होने वाला है और इस तरह पूरी कांग्रेस विदेशियों द्वारा हाइजैक कर ली गई।


■ बाद में खुद प्रियंका गांधी ने अपने बाप के कातिल को कोर्ट में माफ करने की अपील कर दी थी।



■ जब से इटली की सोनिया मानियो इस परिवार की बहू बनकर आई हैं जब से अब तक इस गांधी परिवार में एक भी मृत्यु को प्राकृतिक मृत्यु का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है, सब अप्राकृतिक मौत मरे हैं।


■ इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के ससुर कर्नल आनंद अपने ही फार्म हाउस से थोड़ी दूरी पर गोली लगने से मरे पाये गये थे।


■ संजय गांधी हवाई जहाज गिर जाने से मारे गये। इंदिरा गांधी अपने ही अंगरक्षकों के द्धारा गोली मारे जाने से मारी जाती है।


■ राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया जाता है।

■ प्रियंका गांधी के ससुर राजेन्द्र वाड्रा दिल्ली के एक गेस्ट हाउस मे मरे पाये जाते है। प्रियंका गांधी की ननद जयपुर दिल्ली हाइवे में कार दुर्घटना में मारी जाती है। प्रियंका गांधी का देवर मुरादाबाद के एक होटल में मरा पाया जाता है।


■ हम खुद देख सकते हैं, केरल में नम्बी नारायण को जेल, गोधरा व मालेगांव कांड में हिन्दुओं को फंसाना व पाकिस्तान आतंकवादियों को छोड़़ना... हिन्दू आंतकवाद शब्द का जन्म... करोड़ों व अरबों के घोटाले... देश को कमज़ोर करना... देश में गोला बारूद का इमरजेंसी स्टॉक 40 से 7 दिन करना... सेना को...गोला बारूद ना देना, बुलेट प्रूफ जैकेट्स न देना, लड़ाकू विमान न खरीदना, कश्मीर से हिन्दू पंडितों से निकालना... 26/ 11 के लिए... पाकिस्तान पर एक्शन के लिए मना करना... चीन के अम्बेसडर से मिलना व बाद में इनकार करना... सबूत देने पर सफाई देना, डिफॉल्टर्स को बैंक्स के मना करने के... बावजूद अरबों रुपए के लोन देने... अब लंदन कोर्ट की मोहर से जग जाहिर।



तथा सबसे मजे की बात देखिए संसद पर हमले के दिन सोनिया-राहुल गांधी संसद हीं नहीं गए थे।

जो जानकारी आपको साझा की गई हैं गूगल स्रोत एवं लेख से लिया गया हैं - जो जानकारी हमको पढ़ कर प्राप्त हुई वही आप तक सपष्ट पहुंचाया गया हैं — इसको और साझा करें ।

Friday, April 18, 2025

साध्वी प्रज्ञा सिंह को कलंकित "कांग्रेस"‎ के इशारे पर मुम्बई ATS चीफ हेमंत करकरे ने बनाया था भगवा आतंक वाद का प्रारूप




 "कुत्ती" , "कमीनी" , "वेश्या" , "कुलटा " बोल इस भगवा में किसकी रखैल है तू ?"

"अब तक कितनों के बिस्तर पर गई‎ है?"

"किसके इशारे पर सब कर रही है ?"

"जिंदगी प्यारी है तो जो मैं कहता हूँ कबुल कर ले बाकी जिंदगी आराम से कटेगी"

यह शब्द सुनकर आपकी त्योरियां जरुर चढ़ गई‎ होगी

मेरी भी चढ़ गई थी।

ऐसे घृणित शब्दों से किसी और को नहीं

बल्कि भगवा वस्त्र धारिणी निष्कलंक साध्वी प्रज्ञा सिंह को कलंकित "कांग्रेस"‎ के इशारे पर मुम्बई ATS चीफ हेमंत करकरे के सामने मुम्बई पुलिस व ATS ने कहलवाया था.

जिस हेमंत करकरे को आज शहीद मान कर सम्मान दिया जाता है एक नम्बर का नीच आदमी था. उस निर्दोष हिंदू साध्वी का श्राप लगा और आज हेमंत करकरे के परिवार में कोई दीपक जलाने वाला भी जीवित नहीं बचा है ।

मैं साध्वी प्रज्ञा जी का एक साक्षात्कार देख रहा था।

ऐसे घृणित शब्दों को इशारे में बताया।

बताते हुए उनके नेत्र सजल हो गये.

साक्षात्कार देखते हुए क्रोधाग्नि से धधक रहे मेरे आँखो से भी अश्रु की धारा फूट पड़ी।

"साध्वी प्रज्ञा" ने मर्माहत शब्दों में वृत्तान्त सुनाया कि

मेरे शरीर का कोई‎ ऐसा अंग नही जिसे चोटिल ना किया गया हो।

जब पत्रकार ने पुछा कि

मारने के कारण ही आपके रीढ़ की हट्टी टूट गई‎ थी ??

साध्वी प्रज्ञा ने कहा,

"नहीं, मारने से नहीं,

एक जन हमारा हाथ पकड़ते थे एक जन पांव और झूलाकर दीवार की तरफ फेंक देते थे,

ऐसा प्राय: रोजाना होता था दीवार से सर टकराकर सुन्न हो जाता था।

कमर में भयानक दर्द होता था। ऐसा करते करते एक दिन रीढ़ की हड्डी टूट गई तब अस्पताल में भर्ती कराया गया।"

साध्वी प्रज्ञा ने बताया,

"एक दिन तो ऐसा हुआ कि

मारते मारते एक पुलिस वाला थक गया तो

दूसरा मारने लगा।

उस दौरान मेरे फेफड़े की झिल्ली फट गई‎ फिर भी विधर्मी निर्दयता से मारता रहा.".

साध्वी प्रज्ञा ने बताया,

"रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद मैं बेहोश हो गई‎ थी।

जब होश आया तो देखा कि

मेरे शरीर से सारा भगवा वस्त्र उतार लिया गया गया था.

मुझे एक फ्राक पहनाया गया था।"

साध्वी दीदी ने बताया,

"मेरे साथ मेरे एक शिष्य को भी गिरफ्तार किया गया था ।

उसे मेरे सामने लाकर उसे चौड़ा वाला बेल्ट दिया और कहा मार!! अपने गुरु को इस साली को!!"

.."शिष्य, सकुचाने लगा तो मैं बोली मारो मुझे !!

शिष्य ने मजबुरी में मारा तो जरुर मुझे

लेकिन नरमी से।

तब एक पुलिस वाले ने शिष्य से बेल्ट छीन कर शिष्य को बुरी तरह पीटने लगा और बोला ऐसे मारा जाता है.

"साध्वी प्रज्ञा ने बताया कि

एक दिन कुछ पुरुष‎ कैदियों के साथ मुझे खड़ी करके अश्लील आडियो सुनाया जा रहा था.

मेरे शरीर पर इतनी मार पड़ी थी कि

मेरे लिए खड़ी रहना मुश्किल था. मैं बोली कि बैठ जाऊँ वो बोले साली शादी मे आई है क्या कि बैठ जायेगी!!

मेरी आँख बंद होने लगी मैं अचेत हो गई।

साध्वी प्रज्ञा ने बताया,

"मेरे दोनों हाथों को सामने फैलवाकर एक चौड़े बेल्ट से मारते थे,

मेरा दोनो हाथ सूज जाता था।

अँगुलियां भी काम नही करती थी,

तब गुनगुना पानी लाया जाता था। मैं अपने हाथ उसमें डालती,

कुछ आराम होता तब अंगलुियां हिलने डुलने लगती थी,

तो फिर से वही क्रिया मेरे पर मार पड़ती थी।

साध्वी प्रज्ञा जी ने बताया कि

मुझे तोड़ने के लिए मेरे चरित्र पर लांछन लगाया।

क्योंकि लोग जानते हैं कि

किसी औरत को तोड़ना है तो उसके चरित्र पर दाग लगाओ !

मेरे जेल जाने के बाद यह सदमा मेरे पिताजी बर्दास्त नहीं कर पाये और इस दुनियां से चल बसे. साध्वी जी राहत की सांस लेते हुए कहती हैं मेरे अन्दर रहते ही,

एक दुर्बुद्धि दुराचारी हेमंत करकरे को तो सजा मिल गई‎ मिल गई अभी बहुत लोग बाकी है।

साध्वी ने बताया,

"नौ साल जेल में थी,

सिर्फ एक दिन एक महिला ने एक डंडा मारा था,

बाकी हर रोज पुरुष ही निर्दयता से हमें पीटते थे."

पत्रकार ने पूछा,

"आपको समझ में तो आ गया होगा कि क्यों आपको इतने बेरहमी से तड़पाया जा रहा था?"

साध्वी जी ने कहा,

"हां, भगवा के प्रति उनका द्वेश था।

फूटी आंख भी भगवा को नही देखना चाहते थे।

भगवा को बदनाम करने का कांग्रेस ने एक सुनियोजित षडयंत्र तैयार किया था."

साध्वी ने बताया कि

एक बार कांग्रेस का गुलाम, स्वामी अग्निवेष मुझसे मिलने जेल में आया और बोला,

"आप सब कबुल कर लो कि

हां! यह सब RSS के कहने पर हुआ है।

इसमें यूपी के सांसद योगी आदित्य नाथ और संघ के इंद्रेश कुमार का नाम ले लो ।

सरकारी गवाह बन जाओ।

चिदम्बरम और दिग्विजय हमारे मित्र हैं।

मै आपको छुड़वा दुंगा"

साध्वी जी ने कहा,

"अगर आपकी उनसे घनिष्ठता है और सच में हमें छुड़ाना चाहते हो,

तो चिदम्बरम से जाकर बोलो की इमानदारी से जांच करवा ले, क्योंकि मैंने ऐसा कुछ किया ही नही है ।"

हिन्दुओं सबसे ख़ास बात ये कि साध्वी पर ये अत्याचार किसी इस्लामिक काल में नही हुआ है

इसके आगे आपको सोचना है कि

काँग्रेसियों के मन मे हिन्दुओं के लिए कितना प्रेम है।

काँग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र आपने पढ लिया होगा।

अब आपको निर्णय करना है कि आपको कैसा भारत चाहिये ,

और यदि अंतरात्मा ,स्वधर्म गौरव और स्वाभिमान नाम की कोई चीज है हिंदुओं के जेहन में तो तुम हिंदुओं को कसम है अयोध्या में विराजमान तुम्हारे आराध्य राम की, शहीद रामभक्तों और शहीदों के खून से लाल हुयी सरयू नदी की, इस कांग्रेस को जीवन में कभी भी वोट मत देना।

Tuesday, April 15, 2025

गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा

 गिलोय का एक पत्ता आपको 80 सालों तक बीमार नहीं होने देगा...



गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।


1. गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता :-


गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।


2. ठीक करती है बुखार :-


अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।


3. गिलोय के फायदे – डायबिटीज के रोगियों के लिए


गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।


5. पाचन शक्ति बढ़ाती है -:


यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।


6. कम करती है स्ट्रेस -:


गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।


7. बढ़ाती है आंखों की रोशनी :-


गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।


8. अस्थमा में भी फायदेमंद :-


मौसम के परिवर्त न पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।


9. गठिया में मिलेगा आराम :-


गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।


10. अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन :-


भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।


11. बाहर निकलेगा कान का मैल :-


कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।


12. कम होगी पेट की चर्बी :-


गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।


13. खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय :-


गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….


14. जवां रखती है गिलोय :-


गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं.

Monday, April 14, 2025

"धारा 30" के तहत, मुसलमान और ईसाई अपने धर्म की शिक्षा देने के लिए इस्लामिक (मदरसा) और ईसाई (कॉन्वेंट) स्कूल चला सकते हैं



 "मोदी का दूसरा प्रहार आ रहा है,

धारा 30 समाप्त हो सकती है!"


मोदी ने हिंदुओं के साथ नेहरू द्वारा किए गए विश्वासघात को सुधारने के लिए पूरी तैयारी कर ली है।

क्या आपने "धारा 30" के बारे में सुना है?

क्या आप जानते हैं कि धारा 30 का मतलब क्या है?


'धारा 30' एक हिंदू-विरोधी कानून है, जिसे नेहरू ने अन्यायपूर्ण तरीके से संविधान में शामिल किया था!

जब नेहरू ने इस कानून को संविधान में शामिल करने का प्रयास किया, तो सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसका कड़ा विरोध किया।

सरदार पटेल ने कहा था,

"यह कानून हिंदुओं के साथ विश्वासघात है; अगर यह कानून संविधान में लाया गया तो मैं मंत्रिमंडल और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दूंगा!"


आखिरकार, नेहरू को सरदार पटेल के प्रतिरोध के सामने झुकना पड़ा।

लेकिन दुर्भाग्यवश, इस घटना के कुछ समय बाद ही सरदार वल्लभभाई पटेल का अचानक निधन हो गया...!!

पटेल की मृत्यु के बाद नेहरू ने तुरंत इस कानून को संविधान में शामिल कर दिया! 😡



अब जानिए धारा 30 की विशेषताएँ...

इस कानून के अनुसार, हिंदू अपने 'सनातन धर्म' की शिक्षा स्कूलों और कॉलेजों में न तो दे सकते हैं और न ही ले सकते हैं!

क्या यह अजीब नहीं लगता?


"धारा 30" के तहत, मुसलमान और ईसाई अपने धर्म की शिक्षा देने के लिए इस्लामिक (मदरसा) और ईसाई (कॉन्वेंट) स्कूल चला सकते हैं, लेकिन हिंदू अपने गुरुकुल या वैदिक शिक्षा पर आधारित पारंपरिक स्कूल नहीं चला सकते, जो देश के मुख्य धर्म सनातन या हिंदू धर्म और संस्कृति को संरक्षित कर सके। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें इस कानून के तहत दंडित किया जाएगा!


साथ ही, मस्जिदों और चर्चों में दान से जमा सारा पैसा और सोना केवल उन्हीं का होता है। वे उस संपत्ति का उपयोग अपने अनुयायियों को बढ़ावा देने और अशिक्षित या कम शिक्षित हिंदुओं को धन के लालच में धर्मांतरण के लिए करते हैं। लेकिन हिंदू मंदिरों में जमा धन और सोने पर सरकार का नियंत्रण होता है!

नेहरू ने यह सब उस कुटिल गांधी के साथ मिलकर किया ताकि मुसलमानों और ईसाइयों को हिंदुओं के धर्मांतरण में सुविधा हो सके।


"धारा 30" हिंदुओं के खिलाफ एक जानबूझकर किया गया विश्वासघात है!


मुस्लिम बच्चों के लिए अपनी धार्मिक पुस्तक, कुरान पढ़ना और सीखना अनिवार्य है, और यही नियम ईसाइयों पर लागू होता है! लेकिन हमारे हिंदुओं के बारे में क्या? हमें अपने एकमात्र धर्म, जो इस प्राचीन विज्ञान पर आधारित है, की सही समझ भी नहीं है!

आइए, हम सभी सनातन धर्म की रक्षा करें। इस लेख को पढ़ें, समझें और नेहरू और कुटिल गांधी द्वारा किए गए इस अन्याय के बारे में हर जगह जागरूकता फैलाएँ।


क्योंकि धारा 30 के कारण, हम अपने स्कूलों और कॉलेजों में भगवद गीता नहीं पढ़ा सकते हैं, जबकि यह हमारा सनातन धर्म देश है।


यदि आप इस लेख को पढ़कर इसे पसंद करते हैं और सनातन धर्म में विश्वास और स्नेह रखते हैं, तो कृपया इसे जितना संभव हो सके उतना साझा करें!



 

Wednesday, April 9, 2025

क्या बतायें अपने जन्म दिये पुत्र को,बाप ने क्या किया मेरे लिये

 *कृपया कितने भी व्यस्त हो तो भी ये पोस्ट एक बार जरूर पढ़े। तुम्हारे जीवन में 100% फर्क अवश्य पडेगा।* 🙏



        *तत्त्वनिष्ठ*

 "अजी सुनते हो? राहूल को कम्पनी में जाकर टिफ़िन दे आते हो क्या?" 

"क्यों आज राहूल टिफ़िन लेकर नहीं गया।?" 

शरदराव ने पुछा। 

आज राहूल की कम्पनी के चेयरमैन आ रहे हैं, इसलिये राहूल सुबह सात बजे ही निकल गया और इतनी सुबह खाना नहीं बन पाया था।"

" ठीक हैं। दे आता हूँ मैं।" 

शरदराव ने हाथ का पेपर रख दिया और वो कपडे बदलने के लिये कमरे में चले गये।" 

पुष्पाबाई ने एक उच्छ्वास छोडकर राहत की साँस ली। 

शरदराव तैयार हुए मतलब उसके और राहूल के बीच हुआ विवाद उन्होंने नहीं सुना था। विवाद भी कैसा ? हमेशा की तरह राहूल का अपने पिताजी पर दोषारोपण करना और पुष्पाबाई का अपनी पति के पक्ष में बोलना। 

 विषय भी वही! हमारे पिताजी ने हमारे लिये क्या किया? मेरे लिये क्या किया हैं मेरे बाप ने ? ऐसा गैरसमज उसके मन में समाया हुआ था। 

  "माँ! मेरे मित्र के पिताजी भी शिक्षक थे, पर देखो उन्होंने कितना बडा बंगला बना लिया। नहीं तो एक ये हमारे नाना (पिताजी) । अभी भी हम किराये के मकान में ही रह रहे हैं।" 

"राहूल, तुझे मालूम हैं कि तुम्हारे नाना घर में बडे हैं। और दो बहनों और दो भाईयों की शादी का खर्चा भी उन्होंने उठाया था। सिवाय इसके तुम्हारी बहन की शादी का भी खर्चा उन्होंने ने ही किया था। अपने गांव की जमीन की कोर्ट कचेरी भी लगी ही रही। ये सारी जवाबदारियाँ किसने उठाई? "

" क्या उपयोग हुआ उसका? उनके भाई - बहन बंगलों में रहते हैं। कभी भी उन्होंने सोचा कि हमारे लिये जिस भाई ने इतने कष्ट उठाये उसने एक छोटा सा मकान भी नहीं बनाया, तो हम ही उन्हें एक मकान बना कर दे दें ? "

एक क्षण के लिए पुष्पाबाई की आँखें भर आईं। क्या बतायें अपने जन्म दिये पुत्र को *"बाप ने क्या किया मेरे लिये"* पुछ रहा हैं? फिर बोली .... 

" तुम्हारे नाना ने अपना कर्तव्य निभाया। भाई-बहनों से कभी कोई आशा नहीं रखी। "

राहूल मूर्खों जैसी बात करते हुए बोला — "अच्छा वो ठीक हैं। उन्होंने हजारों बच्चों की ट्यूशन्स ली। यदि उनसे फीस ले लेते तो आज पैसो में खेल रहे होते। आजकल के क्लासेस वालों को देखो। इंपोर्टेड गाड़ियों में घुमते हैं। "

" यह तुम सच बोल रहे हो। परन्तु, तुम्हारे नाना( पिताजी) का तत्व था, *ज्ञानदान का पैसा नहीं लेना।* उनके इन्हीं तत्वों के कारण उनकी कितनी प्रसिद्धि हुई। और कितने पुरस्कार मिलें। उसकी कल्पना हैं तुझे। "

ये सुनते ही राहूल एकदम नाराज हो गया। 

 " क्या चाटना हैं उन पुरस्कारों को? उन पुरस्कारों से घर थोडे ही बनाते आयेगा। पडे ही धूल खाते हुए। कोई नहीं पुछता उनको।"

इतने में दरवाजे पर दस्तक सुनाई दी। राहूल ने दरवाजा खोला तो शरदराव खडे थे। नाना ने अपना बोलना तो नहीं सुना इस डर से राहूल का चेहरा उतर गया। परन्तु, शरदराव बिना कुछ बोले अन्दर चले गये। और वह वाद वहीं खत्म हो गया। 

 ये था पुष्पाबाई और राहूल का कल का झगड़ा, पर आज .... 

 

शरदरावने टिफ़िन साईकिल को अटकाया और तपती धूप में औद्योगिक क्षेत्र की राहूल की कम्पनी के लिये निकल पडे। सात किलोमीटर दूर कंपनी तक पहूचते - 2 उनका दम फूल गया था। कम्पनी के गेट पर सिक्युरिटी गार्ड ने उन्हें रोक दिया। 

 "राहूल पाटील साहब का टिफ़िन देना हैं। अन्दर जाँऊ क्या?" 

"अभी नहीं देते आयेगा।" गार्ड बोला। 

"चेयरमैन साहब आये हुए हैं। उनके साथ मिटिंग चल रही हैं। किसी भी क्षण वो मिटिंग खत्म कर आ सकते हैं। तुम बाजू में ही रहिये। चेयरमैन साहब को आप दिखना नहीं चाहिये।" 

 शरदराव थोडी दूरी पर धूप में ही खडे रहे। आसपास कहीं भी छांव नहीं थी। 

थोडी देर बोलते बोलते एक घंटा निकल गया। पांवों में दर्द उठने लगा था। इसलिये शरदराव वहीं एक तप्त पत्थर पर बैठने लगे, तभी गेट की आवाज आई। शायद मिटिंग खत्म हो गई होगी। 

  चेयरमैन साहेब के पीछे पीछे अधिकारी

और उनके साथ राहूल भी बाहर आया।

उसने अपने पिताजी को वहाँ खडे देखा तो मन ही मन नाराज हो गया। 

   चेयरमैन साहब कार का दरवाजा खोलकर बैठने ही वाले थे तो उनकी नजर शरदराव की ओर उठ गई। कार में न बैठते हुए वो वैसे ही बाहर खडे रहे। 

  "वो सामने कौन खडा हैं?" उन्होंने सिक्युरिटी गार्ड से पुछा। 

"अपने राहूल सर के पिताजी हैं। उनके लिये खाने का टिफ़िन लेकर आये हैं।" गार्ड ने कंपकंपाती आवाज में कहा। 

"बुलवाइये उनको। "

  जो नहीं होना था वह हुआ। राहूल के तन से पसीने की धाराऐं बहने लगी। क्रोध और डर से उसका दिमाग सुन्न हुआ जान पडने लगा। 

गार्ड के आवाज देने पर शरदराव पास आये। 

चेयरमैन साहब आगे बढे और उनके समीप गये। 

" आप पाटील सर हैं ना? डी. एन. हायस्कूल में शिक्षक थे। "

" हाँ। आप कैसे पहचानते हो मुझे?" 

कुछ समझने के पहले ही चेयरमैन साहब ने शरदराव के चरण छूये। सभी अधिकारी और राहूल वो दृश्य देखकर अचंभित रह गये। 

"सर, मैं अतिश अग्रवाल। तुम्हारा विद्यार्थी । आप मुझे घर पर पढ़ाने आते थे। "

" हाँ.. हाँ.. याद आया। बाप रे बहुत बडे व्यक्ति बन गये आप तो ..." 

चेयरमैन हँस दिये। फिर बोले, "सर आप यहाँ धूप में क्या कर रहे हैं। आईये अंदर चलते हैं। बहुत बातें करनी हैं आपसे। 

सिक्युरिटी तुमने इन्हें अन्दर क्यों नहीं बिठाया? "

गार्ड ने शर्म से सिर नीचे झुका लिया। 

वो देखकर शरदराव ही बोले —" उनकी कोई गलती नहीं हैं। आपकी मिटिंग चल रही थी। आपको तकलीफ न हो, इसलिये मैं ही बाहर रूक गया। "

"ओके... ओके...!"

चेयरमैन साहब ने शरदराव का हाथ अपने हाथ में लिया और उनको अपने आलीशन चेम्बर में ले गये। 

"बैठिये सर। अपनी कुर्सी की ओर इंगित करते हुए बोले। 

" नहीं। नहीं। वो कुर्सी आपकी हैं।" शरदराव सकपकाते हुए बोले। 

"सर, आपके कारण वो कुर्सी मुझे मिली हैं। तब पहला हक आपका हैं। "

चेयरमैन साहब ने जबरदस्ती से उन्हें अपनी कुर्सी पर बिठाया। 

" आपको मालूम नहीं होगा पवार सर.." 

 जनरल मैनेजर की ओर देखते हुए बोले, 

"पाटिल सर नहीं होते तो आज ये कम्पनी नहीं होती और मैं मेरे पिताजी की अनाज की दुकान संभालता रहता। "

राहूल और जी. एम. दोनों आश्चर्य से उनकी ओर देखते ही रहे। 

"स्कूल समय में मैं बहुत ही डब्बू विद्यार्थी था। जैसे तैसे मुझे नवीं कक्षा तक पहूँचाया गया। शहर की सबसे अच्छी क्लासेस में मुझे एडमिशन दिलाया गया। परन्तु मेरा ध्यान कभी पढाई में नहीं लगा। उस पर अमीर बाप की औलाद। दिन भर स्कूल में मौज मस्ती और मारपीट करना। शाम की क्लासेस से बंक मार कर मुवी देखना यही मेरा शगल था। माँ को वो सहन नहीं होता। उस समय पाटिल सर कडे अनुशासन और उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध थे। माँ ने उनके पास मुझे पढ़ाने की विनती की। परन्तु सर के छोटे से घर में बैठने के लिए जगह ही नहीं थी। इसलिये सर ने पढ़ाने में असमर्थता दर्शाई। माँ ने उनसे बहुत विनती की। और हमारे घर आकर पढ़ाने के लिये मुँह मांगी फीस का बोला। सर ने फीस के लिये तो मना कर दिया। परन्तु अनेक प्रकार की विनती करने पर घर आकर पढ़ाने को तैयार हो गये। पहिले दिन सर आये। हमेशा की तरह मैं शैतानी करने लगा। सर ने मेरी अच्छी तरह से धुनाई कर दी। उस धुनाई का असर ऐसा हुआ कि मैं चुपचाप बैठने लगा। तुम्हें कहता हूँ राहूल, पहले हफ्ते में ही मुझे पढ़ने में रूचि जागृत हो गई। तत्पश्चात मुझे पढ़ाई के अतिरिक्त कुछ भी सुझाई नहीं देता था। सर इतना अच्छा पढ़ाते थे, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान जैसे विषय जो मुझे कठिन लगते थे वो अब सरल लगने लगे थे। सर कभी आते नहीं थे तो मैं व्यग्र हो जाता था। नवीं कक्षा में मैं दुसरे नम्बर पर आया। माँ-पिताजी को खुब खुशी हुई। मैं तो, जैसे हवा में उडने लगा था। दसवीं में मैंने सारी क्लासेस छोड दी और सिर्फ पाटिल सर से ही पढ़ने लगा था। और दसवीं में मेरीट में आकर मैंने सबको चौंका दिया था।" 

" माय गुडनेस...! पर सर फिर भी आपने सर को फीस नहीं दी? "

  जनरल मैनेजर ने पुछा।           

" मेरे माँ - पिताजी के साथ मैं सर के घर पेढे लेकर गया। पिताजी ने सर को एक लाख रूपये का चेक दिया। सर ने वो नहीं लिया। उस समय सर क्या बोले वो मुझे आज भी याद हैं। सर बोले — "मैंने कुछ भी नहीं किया। आपका लडका ही बुद्धिमान हैं। मैंने सिर्फ़ उसे रास्ता बताया। और मैं ज्ञान नहीं बेचता। मैं वो दान देता हूँ। बाद में मैं सर के मार्गदर्शन में ही बारहवीं मे पुनः मेरीट में आया। बाद में बी. ई. करने के बाद अमेरिका जाकर एम. एस. किया। और अपने शहर में ही यह कम्पनी शुरु की। एक पत्थर को तराशकर सर ने हीरा बना दिया। और मैं ही नहीं तो सर ने ऐसे अनेक असंख्य हिरें बनाये हैं। सर आपको कोटी कोटी प्रणाम...!!"

चेयरमैन साहब ने अपनी आँखों में आये अश्रु रूमाल से पोंछे। 

" परन्तु यह बात तो अदभूत ही हैं कि, बाहर शिक्षा का और ज्ञानदान का बाजार भरा पडा होकर भी सर ने एक रूपया भी न लेते हुए हजारों विद्यार्थियों को पढ़ाया, न केवल पढ़ाये पर उनमें पढ़ने की रूचि भी जगाई। वाह सर मान गये आपको और आपके आदर्श को।" 

शरदराव की ओर देखकर जी. एम ने कहा। 

 " अरे सर! ये व्यक्ति तत्त्वनिष्ठ हैं। पैसों, और मान सम्मान के भूखे भी नहीं हैं। विद्यार्थी का भला हो यही एक मात्र उद्देश्य था। "चेयरमैन बोले। 

" मेरे पिताजी भी उन्हीं मे से एक। एक समय भूखे रह लेंगे, पर अनाज में मिलावट करके बेचेंगे नहीं।" ये उनके तत्व थे। जिन्दगी भर उसका पालन किया। ईमानदारी से व्यापार किया। उसका फायदा आज मेरे भाईयों को हो रहा हैं।" 

बहुत देर तक कोई कुछ भी नहीं बोला । फिर चेयरमैन ने शरदराव से पुछा, - "सर आपने मकान बदल लिया या उसी मकान में हैं रहते हैं। "

"उसी पुराने मकान में रहते हैं सर! "

शरदराव के बदले में राहूल ने ही उत्तर दिया। 

    उस उत्तर में पिताजी के प्रति छिपी नाराजगी तत्पर चेयरमैन साहब की समझ में आ गई । 

‌"तय रहा फिर। सर आज मैं आपको गुरू दक्षिणा दे रहा हूँ। इसी शहर में मैंने कुछ फ्लैट्स ले रखे हैं। उसमें का एक थ्री बी. एच. के. का मकान आपके नाम कर रहा हूँ....." 

 "क्या.?" 

शरदराव और राहूल दोनों आश्चर्य चकित रूप से बोलें। "नहीं नहीं इतनी बडी गुरू दक्षिणा नहीं चाहिये मुझे।"शरदराव आग्रहपूर्वक बोले। 

चेयरमैन साहब ने शरदराव के हाथ को अपने हाथ में लिया। " सर, प्लीज.... ना मत करिये और मुझे माफ करें। काम की अधिकता में आपकी गुरू दक्षिणा देने में पहले ही बहुत देर हो चुकी हैं।" 

फिर राहूल की ओर देखते हुए उन्होंने पुछ लिया, राहूल तुम्हारी शादी हो गई क्या? "

‌" नहीं सर, जम गई हैं। और जब तक रहने को अच्छा घर नहीं मिल जाता तब तक शादी नहीं हो सकती। ऐसी शर्त मेरे ससुरजी ने रखी होने से अभी तक शादी की डेट फिक्स नहीं की। तो फिर हाॅल भी बुक नहीं किया। " 

चेयरमैन ने फोन उठाया और किसी से बात करने लगे।समाधान कारक चेहरे से फोन रखकर, धीरे से बोले" अब चिंता की कोई बात नहीं। तुम्हारे मेरीज गार्डन का काम हो गया। *"सागर लान्स"* तो मालूम ही होगा! "

" सर वह तो बहूत महंगा हैं... "

" अरे तुझे कहाँ पैसे चुकाने हैं। सर के सारे विद्यार्थी सर के लिये कुछ भी कर 

‌ ‌सकते हैं। सर के बस एक आवाज देने की बात हैं। परन्तु सर तत्वनिष्ठ हैं, वैसा करेंगे भी नहीं। इस लान्स का मालिक भी सर का ही विद्यार्थी हैं। उसे मैंने सिर्फ बताया। सिर्फ हाॅल ही नहीं तो भोजन सहित संपूर्ण शादी का खर्चा भी उठाने की जिम्मेदारियाँ ली हैं उसने... वह भी स्वखुशी से। तुम केवल तारिख बताओ और सामान लेकर जाओ। 

"बहूत बहूत धन्यवाद सर।" राहूल अत्यधिक खुशी से हाथ जोडकर बोला। "धन्यवाद मुझे नहीं, तुम्हारे पिताश्री को दो राहूल! ये उनकी पुण्याई हैं। और मुझे एक वचन दो राहूल! सर के अंतिम सांस तक तुम उन्हें अलग नहीं करोगे और उन्हें 

कोई दुख भी नहीं होने दोगे। मुझे जब भी मालूम चला कि, तुम उन्हें दुख दे रहे होतो, न केवल इस कम्पनी से लात मारकर भगा दुंगा परन्तु पुरे महाराष्ट्र भर के किसी भी स्थान पर नौकरी करने लायक नहीं छोडूंगा। ऐसी व्यवस्था कर दूंगा।"

चेयरमैन साहब कठोर शब्दों में बोले। 

" नहीं सर। मैं वचन देता हूँ, वैसा कुछ भी नहीं होगा। "राहूल हाथ जोडकर बोला। 

   शाम को जब राहूल घर आया तब, शरदराव किताब पढ रहे थे। पुष्पाबाई पास ही सब्जी काट रही थी। राहूल ने बॅग रखी और शरदराव के पाँव पकडकर बोला —" नाना, मुझसे गलती हो गई। मैं आपको आजतक गलत समझता रहा। मुझे पता नहीं था नाना आप इतने बडे व्यक्तित्व लिये हो।" 

‌ शरदराव ने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया।

अपना लडका क्यों रो रहा हैं, पुष्पाबाई की समझ में नहीं आ रहा था। परन्तु कुछ अच्छा घटित हुआ हैं। इसलिये पिता-पुत्र में प्यार उमड रहा हैं। ये देखकर उनके नयनों से भी कुछ बुन्दे गाल पर लुढक आई। 

.....................................

*एक विनती*

  ☝ *उपरोक्त कथा पढने के उपरान्त आपकी आँखों से 1 भी बुन्द बाहर आ गई हो तो ही यह पोस्ट अपने स्नेहीजन तक भेजियेगा जरूर ! ✍✍✍✍✍✍ * और कृपया अपने पिताजी से कभी यह न कहे कि "आपने मेरे लिये किया ही क्या हैं? क्या कमाकर रखा मेरे लिये? जो भी कमाना हो वो स्वयम् अर्जित करें। जो शिक्षा और संस्कार उन्होंने तुम्हें दिये हैं वही तुम्हें कमाने के लिए पथप्रदर्शक रहेंगे*

✍ श्री अनिल मांडगेजी की पोस्ट का हिन्दी अनुवाद। ✍

अनुवादक

भारतेन्द्र लाम्भाते

Saturday, April 5, 2025

जीवन में पद पैसा प्रतिष्ठा, ये सब कुछ काम का नहीं

 *हाल ही की,पांच बुरी खबरें  देखकर, आज की परिस्थितीयो मे, सभी ढलती उम्र के व्यक्तियों को अपने जीवन पर विचार करना ही चाहिये।* 


(1) 12000 करोड़ की रेमण्ड कम्पनी का मालिक, आज बेटे की बेरुखी के कारण किराये के घर में रह रहा है।


(2) एक अरबपति महिला, मुम्बई के पॉश इलाके के अपने करोड़ो के फ्लैट में, पूरी तरह गल कर कंकाल बन गयी! विदेश में बहुत बड़ी नौकरी करने वाले, करोड़पति बेटे को पता ही नहीं? माँ कब मर गयी।


(3) राकेश झुनझुनवाला, 43 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति छोड़कर,असमय चला गया क्योंकि 24 घण्टे में 20 घण्टे कुर्सी पर बैठ कर काम करता था।


(4) सायरस मिस्त्री,90 हज़ार करोड़ की संपत्ति छोड़ गया।

हवा में उड़ता था, कार एक्सीडेंट में गुज़र गया।


(5) सपने सच कर आई. ए. एस. का पद पाये, बक्सर के क्लेक्टर ने तनाव के कारण आत्महत्या की।


ये पांच घटनायें बताती हैं, जीवन में पद पैसा प्रतिष्ठा, ये सब कुछ काम का नहीं। यदि आपके जीवन में खुशी संतुष्टी और अपने नहीं हैं तो कुछ भी मायने नहीं रखता।


वरना एक क्लेक्टर को क्या जरुरत थी ? जो उसे आत्महत्या करनी पड़ी।


खुशियाँ, पैसो से नहीं मिलती अपनों से मिलती है।



क्योकि ? सीता जी, जब श्री राम के पास थी, तो उन्हें सोने का हिरण चाहिए था, मगर वही सीता जी, जब सोने की लंका मे गयी  तो,उन्हे श्री राम  ही चाहिए थे।


इसलिए पैसा तो होता है,पर जीवन में, सब कुछ नही होता।


पैसा बहुत कुछ है, लेकिन सब कुछ नही है।


जीवन आनन्द के लिए है, चाहे जो हो, बस मुस्कुराते रहो...?


यदि आप चिंतित हो,तो खुद को थोड़ा आराम दो 


हो सके तो ज़रूरत मंदो की सहायता करो।


ये अंग्रेजी वर्ण, हमें सिखाते हैं :-

 

A B C....?

Avoid Boring Company. 


 मायूस संगत से, दूरी बनाए रखना।


_D E F...?_

Dont Entertain Fools.


मूर्खो पर, समय व्यर्थ मत करो।


_G H I...?_

Go For High Ideas.


ऊँचे विचार रखो।


_J K L M...?_

Just Keep A Friend Like Me.


मेरे जैसा, मित्र रखो।


_N O P...?_

Never Overlook The Poor n Suffering.


गरीब व पीड़ित को ,कभी भी, अनदेखा मत करो!


_Q R S...?_

Quit Reacting To Silly Tales.


मूर्खो को , भूलकर भी प्रतिक्रिया मत दो !


_T U V...?_

Tune Urself For Ur Victory.


खुद की जीत, सुनिश्चित करो!


_W X Y Z...?_

We Xpect You To Zoom Ahead In Life


इसलिये,हम आपसे, जीवन में, आगे देखने की, आशा करते हैं।


यदि आपने चाँद को देखा, तो आपने ,ईश्वर की सुन्दरता देखी!


यदि आपने सूर्य को देखा, तो आपने ,ईश्वर का बल देखा!


और यदि आपने आईना देखा, तो आपने ईश्वर की, सबसे सुंदर रचना देखी!


इसलिए, स्वयं पर विश्वास रखो.


जीवन में हमारा उद्देश्य होना चाहिए :-


9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1, 0


9 - गिलास पानी

8 - घण्टे नींद

7 - यात्रायें परिवार के साथ

6 - अंकों की आय

5 - दिन हफ्ते में काम

4 - चक्का वाहन

3 - बेडरूम वाला फ्लैट

2 - अच्छे बच्चे।

1 - जीवन साथी

0 - चिन्ता...?   

  

*राधे राधे*

Thursday, April 3, 2025

वक्फ संशोधन बिल पर BJP ने जेडीयू और टीडीपी को कैसे मनाया, विपक्ष भी हैरान



: वक्फ बिल पर समर्थन जुटाकर भाजपा ने एक तरह से ये सिद्ध कर दिया कि चाहे केंद्र में उसकी सरकार सहयोगी दलों के सहारे ही क्यों ना चल रही हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विवादास्पद मुद्दों पर भी सहयोगी दलों का समर्थन हासिल कर सकते हैं. हालांकि जेडीयू और टीडीपी दोनों के ही वोटबैंक में एक बड़ा भाग मुस्लिम मतदाताओं का है. बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां जेडीयू मुख्य दलों में से एक है. विपक्ष भी हैरान है कि भाजपा ने हमेशा मुस्लिमों के मामले में विरोध करने वाली पार्टी जेडीयू को कैसे मनाया.

इससे पहले जब मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर बात आई है, हमेशा ही जेडीयू और टीडीपी या फिर यहां तक कि चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी खुलकर भाजपा से अलग राय रखती आई है. खासतौर पर समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर कई बार जेडीयू की अलग राय सामने आई है. मगर वक्फ बिल पर बिहार में चुनावी मौसम में भी जेडीयू ने एनडीए का साथ दिया.

दरअसल हकीकत ये है कि भाजपा पिछले एक साल से इस बिल को लेकर बनाए गए विपक्ष के नैरेटिव से इतर, विधेयक पर उन पहलुओं को इन पार्टियों को समझा रही है जिससे इस बिल के आने से आम मुस्लिम मतदाताओं, महिलाओं, विधवाओं को कैसे फायदा पहुंचेगा. पार्टी पिछले एक साल के दौरान इस बिल को लेकर अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ लगभग एक दर्जन से भी ज्यादा बैठक कर चुकी है. यही वजह है कि विपक्ष ने जैसे इस बिल के खिलाफ नैरेटिव तैयार किया, उसके ठीक उलट अब एनडीए और उसकी सहयोगी पार्टियां संसद सत्र के खत्म होते ही वक्फ बिल या 'उम्मीद' नामक के इस बिल की अच्छाइयों को राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग कार्यक्रम कर समझाने की योजना बना रही है.

सूत्रों की मानें तो सरकार ऐसे बिंदुओं को तैयार कर रही, जिसमें इस बिल से महिलाओं को कैसे फायदा मिलेगा या किस तरह आम मुसलमानों की संपत्ति को वक्फ के कब्जे से छुड़ाया जा सकेगा ये नैरेटिव समझाया जाएगा.

मसलन सरकार के मुताबिक वक्फ संशोधन विधेयक, 2025 में सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक पारिवारिक वक्फ (वक्फ-अलल-औलाद) के अंतर्गत महिलाओं के विरासत के अधिकारों की सुरक्षा है. विधेयक में बताया गया है कि वक्फ को संपत्ति तभी समर्पित की जा सकती है, जब यह सुनिश्चित हो जाए कि महिला उत्तराधिकारियों को उनके उचित उत्तराधिकार का हिस्सा मिल चुका है. यह प्रावधान उत्तराधिकार कानूनों की अनदेखी से संबंधित लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को सीधे तौर पर हल करता है, जिनसे अक्सर महिलाओं को नुकसान होता है.

इस बिल की धारा 3A (2) को लागू करके, विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि वक्फ संपत्ति की घोषणा से पहले महिलाओं को उनके उचित दावों से वंचित न रखा जाए. यह विधेयक विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए वित्तीय सहायता को शामिल करने के लिए वक्फ-अलल-औलाद के दायरे का विस्तार करता है.


धारा 3(R)(iv) में प्रावधान है कि वक्फ आय का उपयोग अब इन कमजोर समूहों के रखरखाव और कल्याण के लिए किया जा सकता है, जिससे इन जरूरतमंदों के लिए आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता सुनिश्चित होगी. यह प्रावधान महिलाओं के साथ न्‍याय (यानी जेंडर जस्टिस) के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए इस्लामी कल्याण सिद्धांतों के अनुरूप है.विधेयक में एक और उल्लेखनीय सुधार वक्फ प्रशासन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व है. संशोधन में राज्य वक्फ बोर्ड (धारा 14) और केंद्रीय वक्फ परिषद (धारा 9) में दो मुस्लिम महिला सदस्यों को शामिल किए जाने का प्रावधान बरकरार रखा गया है.


मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रवृत्ति, स्वास्थ्य सेवा और मातृत्व कल्याण, महिला उद्यमियों के लिए कौशल विकास और माइक्रोफाइनेंस सहायता, उत्तराधिकार विवादों और घरेलू हिंसा के मामलों के लिए कानूनी सहायता का भी इस बिल में प्रावधान किया गया है.


बहरहाल भाजपा की तरफ से वक्फ को लेकर कार्यक्रम तैयार किए ही जा रहे हैं. साथ ही चुनावी राज्यों और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों के लिए अलग से रणनीति भी बनाई जा रही है, जिसमें इन क्षेत्रों में जाकर आम मुस्लिम मतदाताओं और महिलाओं को ये बिल आने से क्या फायदा मिलेगा इसकी बारीकियां बताई जाएंगी.

इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग का कहना है कि कांग्रेस और सपा के कुछ नेता मानसिक दिवालियापन के शिकार हो गए हैं और वक्फ संपत्तियों को वोट बैंक के लिए कारोबार करने वाले भू-माफिया के साथ मिलकर कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं.

Wednesday, April 2, 2025

आतंक वादियों की धार्मिक अंधता, जिसके लिए खून बहाते हैं निर्दोष लोगो का, उनके साथ खडे होते बो लोग जो उन्हें भटका हुआ नौजवान बताने मे कतई शर्म महसूस नहीं करते



 ये तस्वीर है उन यजीदी महिलाओं की जिनके पति, पिता और भाइयों को मारकर जेहादियों ने सेक्स-स्लेव बनाकर

 बच्चे पैदा करने के लिए अपने कैदखाने में रखा था।


जब अमेरिकी सेनाओं ने मोसुल नगर में ऐसे ही एक कैदखाने को अपने कब्जे में लेकर इन्हें आजाद कराया तो कोई भी महिला बिना बच्चों के न थी ,जेहादी हर दिन इन्हें अपनी हवश का शिकार बनाते थे और नए जेहादी पैदा करने के लिए इन्हें पालते थे।

यजीदी परिवारों के पुरुषों को मारने और इन्हें बंदी बनाने के पीछे की सोच मात्र यह है कि यजीदी काफ़िर हैं

और काफिरों के साथ उनका यह व्यवहार उनके इस्लामिक मजहब के अनुसार है।


उत्तरी इराक के दोहूक प्रान्त की रहने वाली 23 साल की यज़ीदी महिला फरीदा की शादी को अभी दो माह हुए थे कि एक रात जेहादियों ने उनके घर को घेर लिया और काफ़िर बताकर उनके सामने ही पांच भाइयो , पिता को मारकर

फरीदा और उसकी बहन को उठा ले गए थे ।

बाद में जब अमेरिकी सेना ने फरीदा को मोसुल के एक सेक्स-स्लेव सेंटर से आजाद कराया तो फरीदा ने बताया कि


‘मेरी बहन 16 साल की है. उसकी निकाह सात मर्दों से करा दी गई है. वह अभी भी सीरिया में ही है’. यह कहते हुए फरीदा फूट-फूट कर रोने लगती है. और फिर बताती है कि ‘मैंने एक आदमी को बारी-बारी से चार महिलाओं के साथ बलात्कार करते हुए देखा. और मैंने देखा कि इस्लामिक स्टेट के लोगों ने एक मां से उसके बच्चे को अलग कर दिया. वो भी तब जब वो अपने बच्चे को दूध पिला रही थी. उस बच्चे का मुंह उसकी मां के स्तन से लगा हुआ था. फिर उस औरत के साथ बलात्कार करने लगे. वहां एक बंदे से मेरा निकाह होने वाली था. फिर उसके दोस्त मुझे देखने आये. उसका एक दोस्त भी मुझे पसंद करने लगा. उसने मुझसे शादी का इरादा बना लिया. और बाद में मैं खुद पांच मर्दों को बेच दी गई.’



जब एक सेकुलर पत्रकार ने 

फरीदा से पूछा कि ‘कई लोगों का ऐसा कहना है कि इस्लामिक स्टेट के लोग ड्रग लेते हैं. और इसलिए इस तरह हिंसा और बलात्कार की घटनाओं को अंजाम देते हैं’. इस पर फरीदा ने बताया कि ‘वे लोग ये काम बिल्कुल स्वतंत्र रूप से और दिल से करते हैं. वो इस्लाम की ही सांस लेते हैं, खाते और सोते हैं. और इसी के लिए वो पागल हैं. ये एक सनक है. उनके बच्चे भी उनसे यही सीख रहे हैं. वो भी आगे जाकर उनके जैसे ही बनेंगे. मैंने वहां किसी को भी इस मानसिकता से अलग नहीं देखा’.


इस्लामिक जेहादियों के चंगुल से किसी तरह जान बचा कर भागी 25 वर्षीय यजीदी महिला नादिया मुराद को वर्ष 2018 में शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया था 


नादिया मुराद ने बताया कि इराक के सिंजर के निकट यजीदी समुदाय के गढ़ के गाँव कोचों में शांतिपूर्वक जीवन जी रहीं थी 

वर्ष 2014 के

एक दिन काले झंड़े लगे जिहादियों के ट्रक उनके गांव कोचो में धड़धड़ाते हुए घुस आए। इन आंतकवादियों ने पुरूषों की हत्या कर दी, बच्चों को लड़ाई सिखाने के लिए और हजारों महिलाओं को यौन दासी बनाने और बल पूर्वक काम कराने के लिए अपने कब्जे में ले लिया। 

छह भाइयों , पिता और वृद्ध माँ का कत्ल कर दिया और सैकड़ो गांवों के हजारों यजीदी लड़कियों के साथ

जेहादी मुराद को मोसुल ले आये ।

 मोसुल आईएस की इस्लामिक खिलाफत की ‘राजधानी’थी। दरिंदगी की हदें पार करते हुए आतंकवादियों ने उनसे लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया, यातानांए दी।


वह बताती हैं कि जिहादी महिलाओं और बच्चियों को बेचने के लिए दास बाजार लगते हैं और यजीदी महिलाओं को धर्म बदल कर इस्लाम धर्म अपनाने का भी दबाव बनाते हैं। मुराद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपबीती सुनाई। हजारों यजीदी महिलाओं की तरह मुराद का एक जिहादी के साथ जबरदस्ती निकाह कराया गया।


इस्लामिक स्टेट एक समय एक बड़े भूभाग पर शासन करने लगा था ।

ईराक , लीबिया और सीरिया के अनेकों तेल कुओं पर उसका कब्जा था जिससे तेल बेचकर इस्लामिक स्टेट रोज करोड़ों का मुनाफ़ा कमाता था और बाकायदा अन्य इस्लामिक देशों की तरह सरिया कानून लागू कर इस्लामिक शासन स्थापित किया था , जिसके समर्थन में पूरी दुनिया से मुसलमान इस्लामिक स्टेट के किये लड़ने रक्का और मोसुल में पहुंचे थे।

वैचारिक, सैनिक सहयोग के साथ करोड़ों रुपये प्रतिदिक मुसलमानों का आर्थिक सहयोग पूरी दुनिया से मोसुल में पहुंचता था ।


सुन्नी मुसलमानों की पूर्ण सहानुभूति इस्लामिक स्टेट के साथ इसलिए थी क्योंकि सीरिया, लीबिया,ईराक और लेबनान में शिया मुसलमान और यजीदी समुदाय पर इस्लामिक स्टेट क्रूरतम कहर ढा रहे थे


मुराद बताती हैं कि मोसुल में उन्हें एकबार भागने का मौका मिला. वह बागीचे की चहारदिवारी फांदने में सफल रहीं. लेकिन मोसुल की गलियों में भटकते हुए उन्हें जब समझ में नहीं आया कि क्या करें तो उन्होंने एक अनजान घर के दरवाजे की घंटी बजा दी और मदद की गुहार लगाई , घर एक मुसलमान का था उसने मुराद को तत्काल इस्लामिक स्टेट की सेना के हवाले कर दिया । भगाने की कोशिश करने वाली हर लड़की को सजा के रूप में सामूहिक बलात्कार की पीड़ा मिलती है 

मुझे छह लड़ाकों की अपनी सेंट्री को सौंप दिया. उन सभी ने मेरे साथ तब तक बलात्कार किया, जब तक मैं होशो-हवास न खो बैठी."


मुराद बताती हैं कि इराक और सीरिया में उन्होंने देखा कि सुन्नी मुस्लिम आम जीवन जीते रहे, जबकि यजीदियों को IS के सारे जुल्म सितम सहने पड़े. मुराद बताती हैं कि हमारे लोगों की हत्याएं होती रहीं, रेप किए जाते रहे और सुन्नी मुस्लिम जुबान बंद किए सब देखते रहे. उन्होंने कुछ नहीं किया.


मुराद ने अपनी पुस्तक 'द लास्ट गर्ल : माई स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माई फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट' में अपने साथ हुई बर्बरता का दिल दहला देने वाला वर्णन किया है.


 ऐसा ही जेहादियों ने पिछले 1400 वर्षों में काफिरों के साथ किया है चाहे वह भारत की नारियों को अरब और अफगान की मंडियों में 2-2 दीनार में बेचना हो या कश्मीर में हिंदु पुरुषों को मारकर उनकी लड़कियों का बलात्कार करना हो

उनके लिए इसमें कुछ भी नया नहीं है।

कल जब भारत में इनकी संख्या बढ़ेगी, ये थोड़े और तागतवर होंगें तब यही हिंदुओं की बहन बेटियों के साथ होगा इसमें शंका न पालना 🤔🤔🤔


जाग सको तो जागो और जगाओ


शान्ति, प्रेम और भाईचारे ....!

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