Thursday, December 14, 2023

भाजपा नेतृत्व ने यह और अधिक अच्छे से रेखांकित किया कि वह समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है


छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भी मुख्यमंत्री के साथ साथ उप-मुख्यमंत्रियों के नाम सामने आ गए *इन तीनों ही राज्यों में भाजपा ने ऐसे नेताओं को कमान सौंपी जो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मुश्किल से ही नजर आ रहे थे* छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री ने विष्णुदेव साय के बारे में तो फिर भी यह अनुमान लगाया जा रहा था *की राज्य की बागडोर उनके हाथ में दी जा सकती है* लेकिन मध्य प्रदेश में किसी को भी यह भान नहीं था कि मोहन यादव *मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं*।


इसी तरह राजस्थान में भी इसके कहीं कोई आसार नहीं दिख रहे थे *कि पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री बन सकते हैं* वैसे तो भाजपा इस तरह के चकित करने वाले फैसले पहले भी करती रही है *लेकिन इस बार उसने कुछ ज्यादा ही चौंकाने वाले फैसले लिए* चूंकि भाजपा ने चुनावों के समय मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के दावेदारों को आगे नहीं किया था *इसलिए यह लगभग तैय था की इन राज्यों में जीत हासिल होने पर नए चेहरे ही सत्ता की कमान संभालेंगे*।


*अंततः ऐसा ही हुआ* लेकिन भाजपा ने इन तीनों राज्यों की कमान केवल नए चेहरों को ही नहीं थमाई *बल्कि उन नेताओं को मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री बनाया* जो अपेक्षाकृत युवा है और पाटी को विचारधारा से गहरे से जुड़े रहने के साथ जमीनी स्तर पर काम करते रहे हैं *ऐसे नेताओं को आगे करके भाजपा ने यही संदेश दिया कि वह एक ऐसा दल है* जिसके सामान्य कार्यकर्ता भी अपनी मेहनत और लगन से उच्च पद पर पहुंच सकते हैं *ऐसा कोई संदेश न तो परिवारवाद को प्रश्रय देने वाली कांग्रेस दे सकने में समर्थ है* और *ना ही क्षेत्रीय दल*।



भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जिस तरह सांसदों को चुनाव मैदान में उतारकर एक नया प्रयोग किया था *वैसे ही उसने इन तीनों राज्यों में दो-दो उप-मुख्यमंत्री बनाकर भी एक नई शुरुआत की* उल्लेखनीय यह भी है कि इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्रियों के चयन में उसने समाज के विभिन्न वगों की आकांक्षाओं का भी ध्यान रखा।


इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्रियों के चेहरों के जरिये भाजपा ने जिस तरह अपने सामाजिक समीकरण मजबूत किए *उससे उसके विरोधियों के इस तरह के आरोपों की हवा निकल गई कि वह अमुक अमुक वर्ग की उपेक्षा करती है*।


दलित, आदिवासी, ओबीसी और सामान्य वर्ग के नेताओं को ऊपर कर *भाजपा नेतृत्व ने यह और अधिक अच्छे से रेखांकित किया कि वह समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व करती है* भाजपा न केवल सोशल इंजीनियरिंग के मामले में अन्य दलों से कहीं अधिक आगे नजर आने लगी है *बल्कि नेताओं की नई पीढ़ी को तैयार करने और उन्हें अवसर देने के मामले में भी* स्पष्ट है कि इससे उसके सामान्य कार्यकर्ताओं में *उत्साह का कहीं अधिक संचार होगा*।



No comments:

Post a Comment

वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र

 वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित लगभग तीन हजार पांच सौ एकड़ का दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है। इसका प्रबंधन उद्यो...