भाई पता नही यह आपका लेख है या किसी और का फर्क नही पड़ता बरहाल कुल मिलाकर सही है, लेकिन आज के हिसाब से सही नही है ,चूंकि अभी संक्रमण काल चल रहा है आप हरी सब्जियों को खाने पर जोर दे रहे हो,यहां तक कि कच्ची सब्जियां का भी खाने में प्रयोग को कह रहे हो जोकि नितांत गलत है।ऐसे संक्रमण काल में ऐसी राय सही नहीं है ।
बेशक
आपका लेख प्रकृति के अनुरूप है लेकिन समयानुसार ज्यादा ठीक नही आपने इम्यूनिटी सिस्टम का का ख़ौफनाक दिखाया वास्तव मे किसी हद तक यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिम्मेदार है जिन्होंने हमारे बच्चों का बचपना ही छीन लिया, जिन्होंने वायरस का डर दिखाकर बचपन को मिट्टी में खेलने से रोक दिया ।जबकि मिट्टी ही शरीर को प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करती है।आज का सभ्य समाज अपने बच्चों को जो शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करने बाले खेल न खेलने देना व व्यवसायिक खेलो पर केंद्रित कर हमारे नॉनिहालो जीवन ही संकटमय कर दिया ।
*एक और कड़वा सच*
आज वह सब बीमारी कहाँ चली गई ,जो कोरोना से पहले हस्पताल(अस्पताल)भरे रहते थे ।
दूसरे यह इनदिनों चिकुनगुनिया, dengeu,इंसेफ्लाइटिस जैसी भयंकर बीमारियों का तांता लगा रहता था।
गधे के सिर से सिंग जैसे गायब हो गई समझ नही आता यह वही मनुष्य है जिसने सब पर विजय प्राप्त कर ली हो ।
मगर कोरोना ने असहज बना दिया हमको तो लगता है खुद का बड़बोलापन अपंगता ला देता ठीक उसी विषम परिस्थिति में गुजर रहा है ।
प्रकृति जब अट्टहास करती है तो सहम जाता है मानव ।
आज कोरोना रूपी अट्टहास प्रकृति का अहसास कराती है, सबकुछ है भगवान भरोसे तू तो केवल प्यादा मात्र है ।
*क्या बीमारी वास्तव में है या बनाबटी*
इस कोरोना ने सावित कर दिया क्या इतनी वीमारी हैं जितनी अभी तक दिखती थी या सब कुछ ढकोसला।
जैसे भगवान कण कण में व्याप्त वैसे ही लगता है कोरोना भी उसी भगवान का रूप लेकर भूमण्डल पर प्रगटीकरण ऐसा प्रतीत होता है साक्षात शिव ताण्डव के रूप मे प्रस्तुति करण दे रहा है, मानव अपनी भूल का अहसास कर रहा हो ।
लेकिन भौतिक बादी लोग इस काल में भी सिरमौर बनने कोशिश कर रहे हैं,जो कि सीधे सीधे प्रकृति टकराने की कोशिश भर है ।
चीन,अमेरिका, स्पेन व ब्रिटेन जैसे सुबिधा सम्पन्न मुल्क जो अपने आप को मानव सभ्यता का विराट स्वरूप समझते हैं, आज मरे पड़े हैं ।
फिर क्यों मानवता के दुश्मन बन गए ,छोटी आंख बाले
यह कोरोना लाने में भी यही मुल्क दोषी है जो मनुष्यता के खिलाफ ऐसे विषाणु पैदा कर अपने आप को भगवान समझने की भूल करते हैं ,फिर जब आपदा का रूप लेती बीमारी ,फिर संकट में जान फसा दी इस छोटी आंख बाले मुल्क ने ,पूरे विश्व को इस चाइना ने मौत के मुह में धकेल दिया ।



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