Sunday, June 28, 2020

ऐसे लौटी मनुवादी परम्परा



आपने अपने शास्त्र एवम सनातन धर्म का खूब मज़ाक उड़ाया था, जब वह यह कहते थे कि जिस व्यक्ति का आप चरित्र न जानते हों, उसका जल या भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
क्योंकि आप नहीं जानते कि अमुक व्यक्ति किस विचार का है , क्या शुद्धता रखता है ,कौन से गुण प्रधान हैं उस व्यक्ति में, कौन सा कर्म करके वह धन ला रहा है , शौच या शुचिता का कितना ज्ञान है , किस विधा से भोजन बना रहा है , उसके लिए शुचिता या शुद्धता के क्या मापदंड हैं इत्यादि।
जिसका चरित्र नहीं पता हो , उसका स्पर्श करने को भी मना किया गया है।
यह बताया जाता था कि हर जगह पानी और भोजन नहीं करना चाहिए , तब English में american और british accent में आपने इसको मूर्खता और discrimination बोला था।

बड़ी हँसी आती थी तब बकवास कहकर आपने अपने ही शास्त्र और सनातन धर्म को दुत्कारा था । 

और आज,यही लोग जव विवाह के समय वर वधु की 3 से 4 पीढ़ियों का अवलोकन करते थे कि वह किस विचारधारा के थे ,कोई जेनेटिक बीमारी तो नहीं , किस height के थे , कितनी उम्र तक जीवित रहे , खानदान में कोई वर्ण संकर का इतिहास तो नहीं रहा इत्यादि ताकि यह सुनिश्चित कर सकें कि आने वाली सन्तति विचारों और शरीर से स्वस्थ्य बनी रहे और बीमारियों से बची रहे , जिसे आज के शब्दों में GENETIC SELECTION बोला जाता है । 


जैसे आप अपने पशु चाहे वह कुत्ता हो या गाय हो, का गर्भाधान कराते हैं तो यह ध्यान रखते हैं कि अमुक कुत्ता या बैल हृष्ट पुष्ट हो , बीमारी विहीन हो , अच्छे "नस्ल" का हो । इसीलिए वीर्य bank बना जहाँ अच्छे sperms की उपलब्धता होती है । 
ऐसा तो नहीं कहते न कि इसको जिससे प्रेम हो उससे गर्भाधान करा लें । तब तो समझ रहे हैं न कि आपकी कुतिया या गाय का क्या हश्र होगा और आने वाली generation क्या होगी।

पर आप इन सब बातों पर हंसते थे ।

यही शास्त्र जब बोलते थे कि जल ही शरीर को शुद्ध करता है और कोई तत्व नहीं ,बड़ी हँसी आयी थी आपको !! 
तब आप बकवास बोलकर अपना पिछवाड़ा tissue paper से साफ करने लगे ,खाना खाने के बाद जल से हाथ धोने की बजाय tissue पेपर से पोंछ कर इतिश्री कर लेते थे । 

और अब ,जब यही सनातनी और शास्त्र बोलते थे कि भोजन ब्रह्म के समान है और यही आपके शरीर के समस्त अवयव बनाएंगे और विचारों की शुद्धता और परिमार्जन इसी से संभव है इसलिए भोजन को चप्पल या जूते पहनकर न छुवें । 
बड़ी हँसी आयी थी  आपको !! *Obsolete* कहकर आपने खूब मज़ाक उड़ाया।  
जूते पहनकर खाने का प्रचलन आपने दूसरे देशों के आसुरी समाज से ग्रहण कर लिया । Buffe system बना दिया । 
 उन लोगों का मजाक बनाया जो जूते चप्पल निकालकर भोजन करते थे । 

अरे हमारी कोई भी पूजा , यज्ञ, हवन सब पूरी तरह स्वच्छ होकर , हाथ धोकर करने का प्रावधान है । 
पंडित जी आपको हाथ में जल देकर हस्त प्रक्षालन के लिए बोलते हैं । आपके ऊपर जल छिड़ककर मंत्र बोलते हैं :- 

ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपिवा।
यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्यभ्यन्तरः शुचिः।

ॐ पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु पुण्डरीकाक्षः पुनातु।

तब भी आपने मजाक उड़ाया।

जब सनातन धर्मी के यहाँ किसी के घर शिशु का  जन्म होता था तो सूतक लगता था । इस अवस्था में *ब्राह्मण 10 दिन , क्षत्रिय 15 दिन , वैश्य 20 दिन और शूद्र 30 दिन* तक सबसे अलग रहता है । उसके घर लोग नहीं आते थे , जल तक का सेवन नहीं किया जाता था जब तक उसके घर हवन या यज्ञ से शुद्धिकरण न हो जाये । प्रसूति गृह से माँ और बच्चे को निकलने की मनाही होती थी । माँ कोई भी कार्य नहीं कर सकती थी और न ही भोजनालय में प्रवेश करती थी।
इसका भी आपने बड़ा मजाक उड़ाया ।। 
ये नहीं समझा कि यह बीमारियों से बचने या संक्रमण से बचाव के लिए Quarantine किया जाता था या isolate किया जाता था । 


प्रसूति गृह में माँ और बच्चे के पास निरंतर बोरसी सुलगाई रहती थी जिसमें नीम की पत्ती, कपूर, गुग्गल इत्यादि निरंतर धुँवा दिया जाता था । 
उनको इसलिए नहीं निकलने दिया जाता था क्योंकि उनकी immunity इस दौरान कमज़ोर रहती थी और बाहरी वातावरण से संक्रमण का खतरा रहता था ।
लेकिन आपने फिर पुरानी चीज़ें कहकर इसका मज़ाक उड़ाया और आज देखिये 80% महिलाएँ एक delivery के बाद रोगों का भंडार बन जाती हैं कमर दर्द से लेकर , खून की कमी से लेकर अनगिनत समस्याएं  । 

ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , शुद्र के लिए अलग Quarantine या isolation की अवधि इसलिए क्योंकि हर वर्ण का खान पान अलग रहता था , कर्म अलग रहते थे जिससे सभी वर्णों के शरीर की immunity system अलग होता था जो उपरोक्त अवधि में balanced होता था । 

ऐसे ही जब कोई मर जाता था तब भी 13 दिन तक उस घर में कोई प्रवेश नहीं करता था । यही Isolation period था । क्योंकि मृत्यु या तो किसी बीमारी से होती है या वृद्धावस्था के कारण जिसमें शरीर तमाम रोगों का घर होता है । यह रोग हर जगह न फैले इसलिए 14 दिन का quarantine period बनाया गया । 

अरे जो शव को अग्नि देता था  या दाह देता था । उसको घर वाले तक नहीं छू सकते थे 13 दिन तक । उसका खाना पीना , भोजन , बिस्तर , कपड़े सब अलग कर दिए जाते थे । तेरहवें दिन शुद्धिकरण के पश्चात , सिर के बाल हटवाकर ही पूरा परिवार शुद्ध होता था ।  

 तब भी आप बहुत हँसे थे ।  bloody indians कहकर मजाक बनाया था !


जब किसी रजस्वला स्त्री को 4 दिन isolation में रखा जाता है ताकि वह भी बीमारियों से बची रहें और आप भी बचे रहें तब भी आपने पानी पी पी कर गालियाँ दी । और नारीवादियों को कौन कहे  , वो तो दिमागी तौर से अलग होती हैं , उन्होंने जो ज़हर बोया कि उसकी कीमत आज सभी स्त्रियाँ तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित होकर चुका रही हैं । 

जब किसी के शव यात्रा से लोग आते हैं घर में प्रवेश नहीं मिलता है और बाहर ही हाथ पैर धोकर स्नान करके , कपड़े वहीं निकालकर घर में आया जाता है ,  इसका भी खूब मजाक उड़ाया आपने । 

आज भी गांवों में एक परंपरा है कि बाहर से कोई भी आता है तो उसके पैर धुलवायें जाते हैं । जब कोई भी बहूं , लड़की या कोई भी दूर से आता है तो वह तब तक प्रवेश नहीं पाता जब तक घर की बड़ी बूढ़ी लोटे में जल लेकर , हल्दी डालकर उस पर छिड़काव करके वही जल बहाती नहीं हों , तब तक । 

 खूब मजाक बनाया था न


इन्हीं सवर्णों को और ब्राह्मणों को अपमानित किया था जब ये गलत और गंदे कार्य करने वाले , माँस और चमड़ों का कार्य करने वाले लोगों को तब तक नहीं छूते थे जब तक वह स्नान से शुद्ध न हो जाये ।  ये वही लोग थे जो जानवर पालते थे जैसे सुअर, भेड़ , बकरी , मुर्गा , कुत्ता इत्यादि जो अनगिनत बीमारियाँ अपने साथ लाते थे । 
ये लोग जल्दी उनके हाथ का छुआ जल या भोजन नहीं ग्रहण करते थे तब बड़ा हो हल्ला आपने मचाया और इन लोगों को इतनी गालियाँ दी कि इन्हें अपने आप से घृणा होने लगी । 

यही वह गंदे कार्य करने वाले लोग थे जो प्लेग , TB , चिकन पॉक्स , छोटी माता , बड़ी माता , जैसी जानलेवा बीमारियों के संवाहक थे ,और जब आपको बोला गया कि बीमारियों से बचने के लिए आप इनसे दूर रहें तो आपने गालियों का मटका इनके सिर पर फोड़ दिया और इनको इतना अपमानित किया कि इन्होंने बोलना छोड़ दिया और समझाना छोड़ दिया । 

आज जब आपको किसी को छूने से मना किया जा रहा है तो आप इसे ही विज्ञान बोलकर अपना रहे हैं । Quarantine किया जा रहा है तो आप खुश होकर इसको अपना रहे हैं । 

जब शास्त्रों ने बोला था तो मनुवाद बोलकर आपने गरियाया था और अपमानित किया था । 

आज यह उसी का परिणति है कि आज पूरा विश्व Quarantine में पड़ा है,या इससे जूझ रहा है । 

याद करिये पहले जब आप बाहर निकलते थे तो आप की माँ आपको जेब में कपूर या हल्दी की गाँठ इत्यादि देती थी रखने को ।  यह सब कीटाणु रोधी होते हैं। 
शरीर पर कपूर पानी का लेप करते थे ताकि सुगन्धित भी रहें और रोगाणुओं से भी बचे रहें । 

 लेकिन सब आपने भुला दिया


आपको तो अपने शास्त्रों को गाली देने में और देवी देवताओं को अपमानित करने में , आपको आनंद आता है,शायद वह परमानंद आपको कहीं नहीं मिलता । 

 *अरे ! अपने शास्त्रों के level के जिस दिन तुम हो जाओगे, तो यह देश विश्व गुरु कहलायेगा ।*  

तुम ऐसे अपने शास्त्रों पर ऊँगली उठाते हो जैसे कोई मूर्ख व्यक्ति का 7 वर्ष का बेटा ISRO के कार्यों पर प्रश्नचिन्ह लगाए । 

अब भी कहता हूँ अपने शास्त्रों का सम्मान करना सीखो । उनको मानो  ।  बुद्धि में शास्त्रों की अगर कोई बात नहीं घुस रही है तो समझ जाओ आपकी बुद्धि का स्तर उतना नहीं हुआ है । उस व्यक्ति के पास जाओ जो तुम्हे शास्त्रों की बातों को सही ढंग से समझा सके । शायद मैं ही कुछ मदद कर दूँ । लेकिन गाली मत दो , उसको जलाने का दुष्कृत्य मत करो । 

आपको बता दूँ कि आज जो जो Precautions बरते जा रहे हैं , मनुस्मृति उठाइये , उसमें सभी कुछ एक एक करके वर्णित है ।

लेकिन आप पढ़ते कहाँ हैं , दूसरे की बातों में आकर प्रश्नचिन्ह उठायेंगे और उन्हें जलाएंगे । 

जिसने विज्ञान का गहन अध्ययन किया होगा , वह शास्त्र, वेद, पुराण इत्यादि की बातों को बड़े ही आराम से समझ सकता है , corelate कर सकता है और समझा भी सकता है ।  

 लेकिन मेरी इसबात को नोट करिए एकदिन  मनुस्मृति ही विश्व का संबिधान होगा क्योंकि इससे श्रेष्ठ  विश्व में कोई संविधान नहीं बना है ।यह विश्व की सर्वश्रेष्ठ धरोहर है, और एक दिन पूरा विश्व इसी मनुस्मृति संविधान को लागू कर इसका पालन करेगा।
Note it down !! Mark my words again !! 

लेकिन मेरा काम है आप लोगों को जगाना ।
 जिसको जागना है या लाभ लेना है वह पढ़ लेगा ।
यह भी अनुरोध करता हूँ कि सभी सवर्ण बनिये (भले आप किसी भी जाति से हों)और मनुस्मृति का पालन कीजिये इससे इहलोक और परलोक दोनों  सुधरेगा।

मनुस्मृति को समझे ,आखिर मुढ़ व्यक्ति क्यो मनुस्मृति को पानी पी पी कर गरियाते हैं जिसके बारे मे तनिक भी नही जानते, अब समझो क्या है मनुस्मृति ।


मनुस्मृति

वेद, उपनिषद, ब्राह्मण एवं आरण्यक ग्रन्थों के पश्चात् स्मृतियों का स्थान हैं। स्मृति ग्रन्थों में सर्व प्राचीन मनुस्मृति है। जिसकी रचना स्वयंभुव मनु ने की थी। स्वयंभुव मनु सृष्टी के प्रथम मनुष्य थे। सम्पूर्ण मानव मात्र के कल्याण के लिए ही मनुस्मृति की रचना की थी। दक्षिण भारत में मनुचारी ब्राह्मण प्राचीन काल से ही मंदिरों में पूजा करके, यज्ञादि द्वारा अपनी जीविका चलाते आए हैं। आज भी इस कुल में उत्पन्न कोई एक सदस्य अपना सम्पूर्ण जीवन वेदादि ग्रन्थों के पठन-पाठन में ही बीताता है। आज भी दक्षिण भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिसमें मनुचारी ब्राह्मण ही पूजा करते हैं। इन परिवारों में मनुस्मृति की पूजा होती है। बालक जब ८ साल का होता है उस समय उसका उपनयन संस्कार किया जाता है। कई परिवारों में यह संस्कार ५ साल की उम्र में भी किया जाता है। मनुस्मृति के अनुसार जन्म से सभी व्यक्ति शुद्र होते हैं, संस्कार से ही द्विज कहलाते है ! स्कन्द पुराण में ब्रह्मा जी नें आध्यात्मिक तौर पर कहा है-जन्मना जायते शुद्रः संस्कारात् द्विजोच्यते। इन परिवारों में नारी को भी विशेष सम्मान दिया जाता है। नारी को भी ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है। नारी ही परिवार का निर्माण करती है। बच्चों को संस्कार दिलाती है। इसलिए नारी को पढ़ा-लिखा होना चाहिए। जहॉ नारी की पूजा होती है वहॉ देवता निवास करते हैं और जहॉ अपमान किया जाता है वहॉ दुर्भिक्ष और अकाल पडता है। नार्यस्तु यत्र पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।

मनुस्मृति में व्यक्तिगत चित्तशुद्धि से लेकर पूरी समाज व्यवस्था तक कई ऐसी सुंदर बातें हैं जो आज भी हमारा मार्गदर्शन कर सकती हैं। जन्म के आधार पर जाति और वर्ण की व्यवस्था पर सबसे पहली चोट मनुस्मृति में ही की गई है (श्लोक-12/109, 12/114, 9/335, 10/65, 2/103, 2/155-58, 2/168, 2/148, 2/28)। सबके लिए शिक्षा और सबसे शिक्षा ग्रहण करने की बात भी इसमें है (श्लोक- 2/198-215)। स्त्रियों की पूजा करने अर्थात् उन्हें अधिकाधिक सम्मान देने, उन्हें कभी शोक न देने, उन्हें हमेशा प्रसन्न रखने और संपत्ति का विशेष अधिकार देने जैसी बातें भी हैं (श्लोक-3/56-62, 9/192-200)। राजा से कहा गया है कि वह प्रजा से जबरदस्ती कुछ न कराए (8/168)। यह भी कहा गया कि प्रजा को हमेशा निर्भयता महसूस होनी चाहिए (8/303)। सबके प्रति अहिंसा की बात की गई है (4/164)।[5]

Saturday, June 27, 2020

कोरोना की दस्तक से कहाँ गायब हो गई वह भयंकर बीमारियां जिससे कि अस्पताल भरे पड़े रहते थे

भाई पता नही यह आपका लेख है या किसी और का फर्क नही पड़ता बरहाल कुल मिलाकर सही है, लेकिन आज के हिसाब से सही नही है ,चूंकि अभी संक्रमण काल चल रहा है आप हरी सब्जियों को खाने पर जोर दे रहे हो,यहां तक कि कच्ची सब्जियां का भी खाने में प्रयोग को कह रहे हो जोकि नितांत गलत है।ऐसे संक्रमण काल में ऐसी राय सही नहीं है ।

बेशक 
     आपका लेख प्रकृति के अनुरूप है लेकिन समयानुसार ज्यादा ठीक नही आपने इम्यूनिटी सिस्टम का का ख़ौफनाक दिखाया वास्तव मे किसी हद तक यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिम्मेदार है जिन्होंने हमारे बच्चों का बचपना ही छीन लिया, जिन्होंने वायरस का डर दिखाकर बचपन को मिट्टी में खेलने से रोक दिया ।जबकि मिट्टी ही शरीर को प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करती है।आज का सभ्य समाज अपने बच्चों को जो शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करने बाले खेल न खेलने देना व व्यवसायिक खेलो पर केंद्रित कर हमारे नॉनिहालो जीवन ही संकटमय कर दिया ।

 *एक और कड़वा सच*
आज वह सब बीमारी कहाँ चली गई ,जो कोरोना से पहले हस्पताल(अस्पताल)भरे रहते थे ।
दूसरे यह इनदिनों चिकुनगुनिया, dengeu,इंसेफ्लाइटिस जैसी भयंकर बीमारियों का तांता लगा रहता था।
गधे के सिर से सिंग जैसे गायब हो गई समझ नही आता यह वही मनुष्य है जिसने सब पर विजय प्राप्त कर ली हो ।
    मगर कोरोना ने असहज बना दिया हमको तो लगता है खुद का बड़बोलापन अपंगता ला देता ठीक उसी विषम परिस्थिति में गुजर रहा है ।
प्रकृति जब अट्टहास करती है तो सहम जाता है मानव ।
आज कोरोना रूपी अट्टहास प्रकृति का अहसास कराती है, सबकुछ है भगवान भरोसे तू तो केवल प्यादा मात्र है ।

 *क्या बीमारी वास्तव में है या बनाबटी*


इस कोरोना ने सावित कर दिया क्या इतनी वीमारी हैं जितनी अभी तक दिखती थी या सब कुछ ढकोसला।
       जैसे भगवान कण कण में व्याप्त वैसे ही लगता है कोरोना भी उसी भगवान का रूप लेकर भूमण्डल पर प्रगटीकरण ऐसा प्रतीत होता है साक्षात शिव ताण्डव के रूप मे प्रस्तुति करण दे रहा है, मानव अपनी भूल का अहसास कर रहा हो ।
      लेकिन भौतिक बादी लोग इस काल में भी सिरमौर बनने कोशिश कर रहे हैं,जो कि सीधे सीधे प्रकृति टकराने की कोशिश भर है ।
चीन,अमेरिका, स्पेन व ब्रिटेन जैसे सुबिधा सम्पन्न मुल्क जो अपने आप को मानव सभ्यता का विराट स्वरूप समझते हैं, आज मरे पड़े हैं ।
फिर क्यों मानवता के दुश्मन बन गए ,छोटी आंख बाले
यह कोरोना लाने में भी यही मुल्क दोषी है जो मनुष्यता के खिलाफ ऐसे विषाणु पैदा कर अपने आप को भगवान समझने की भूल करते हैं ,फिर जब आपदा का रूप लेती बीमारी ,फिर संकट में जान फसा दी इस छोटी आंख बाले मुल्क ने ,पूरे विश्व को इस चाइना ने मौत के मुह में धकेल दिया ।

Friday, June 26, 2020

पूर्व प्रधानमंत्री के नाम एक खत

  1. आदरणीय, 
डा मनमोहन सिंह जी,
पूर्व प्रधानमंत्री (भारत)

सर आपने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर देश के वर्तमान हालात पर जो चिंता जताई है, उस विषय मे मैं भी आप से कुछ जानना चाहता हूं,
आपके दस वर्षों के प्रधामनंत्री के कार्यकाल में कितने ब्लास्ट हुए है और देश के कितने बेकसूर लोगों ने असमय अपने प्राण गवाए है, शायद ये आप भूल गए होंगे, मैं नही भूला!
अनिश्चितताओ भरा हुआ था देश जिससे पता नहीं कब बिस्फोट हो जाए


5 जुलाई 2005 को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि ब्लास्ट,

29 अक्टूबर 2005 दिल्ली में तीन सीरियल ब्लास्ट (62 मृत)

7 मार्च 2006 बनारस के संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट (28 मृत)

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट (209 मृत)

25 अगस्त 2007 हैदराबाद ब्लास्ट (42 मृत) 

13 मई 2008 जयपुर के सीरियल ब्लास्ट (63 मृत)

25 जुलाई 2008 बंगलोर, 9 सीरियल ब्लास्ट
26 जुलाई 2008 अहमदाबाद में 21 सीरियल ब्लास्ट (56 मृत)

13 सितंबर 2008 दिल्ली, 5 सीरियल ब्लास्ट (30 मृत)

30 अक्टूबर 2008 गुवाहाटी में 18 सीरियल ब्लास्ट (77 मृत)

26 नवम्बर 2008 का दुर्दांत मुम्बई हमला, 
जिसमे दस आतंकियों ने 4 दिन तक मुम्बई को बंधक बनाये रखा और 164 मृत,

13 फरवरी 2010 पुणे की जर्मन बेकरी ब्लास्ट (17 मृत)

13 जुलाई 2011 मुम्बई का ज्वेलरी बाजार ब्लास्ट (26 मृत)

7 सितंबर 2011 दिल्ली का हाइकोर्ट ब्लास्ट (17 मृत)

21 फरवरी 2013 का हैदराबाद ब्लास्ट (16 मृत)

इन सबके अलावा भी और कई ब्लास्ट देश के उत्तरपूर्वी राज्यो में होते रहे, जिनका जिक्र यहाँ नही किया है!!

सारे ब्लास्ट सीमा पार से आये उस टुच्चे से मुल्क पाकिस्तान के आतंकी अपने यहां के सहयोगियों की मदद से कर जाते थे,
चाहे मुम्बई की लोकल ट्रेनों का ब्लास्ट हो या 26/11 का दुर्दांत हमला, 
चाहे सीमा पर गश्त करते देश के दो वीर जवान शहीद सुधाकर सिंह एवं शहीद हेमराज के सर काटे जाने कि घटना हो,

हम भारतवासी आपकी तरफ आशा भरी निगाहों से देखते थे कि, शायद आप कुछ कार्यवाही करेंगे देश मे इन ब्लास्ट का सिलसिला अब थमेगा, निर्दोषों की जान जानी रुकेगी,
हम हर बार आपके साथ होते थे,
सर आप कांग्रेस या यूपीए के नही, हम सभी भारतवासियों के प्रधानमंत्री थे,
लेकिन ऐसा कुछ हुआ नही सर, आप किसी हमले को रोक पाने में सदैव असमर्थ रहे!!

हर एक हमले के बाद अपने देश के निर्दोष नागरिकों को असमय मरते देख हमे भी बहुत गुस्सा आता था, हम सोचते थे कि अब सरकार कोई कड़ा एक्शन लेगी, लेकिन आप डोजियर पे डोजियर भेज के कर्तव्यों की इतिश्री कर लेते थे सर!!
और उसके बाद फिर ब्लास्ट औऱ फिर देश के बेगुनाहों की असमय मौते,
शायद आपकी सरकार में आम आदमी की जान की कोई कीमत नही थी सर जो आपने कभी कड़े कदम नही उठाये!!

2014 में हमे एक नया नेतृत्वकर्ता मिला जिसने हमे हमारी ताकत का अहसास कराया,
उस नरेंद्र दामोदर दास मोदी की सरकार ने आते ही इन आतंकवादियों और उनके स्लीपर सेल्स की कमर तोड़ कर रख दी,
जिसकी परिणीति आपको भी दिखती होगी सर कि, 2014 से अब तक देश के अंदर किसी सार्वजनिक स्थान पर देश के किसी आम नागरिक को निशाना बनाने की हिम्मत कोई आतंकवादी संगठन नही कर पाया,
सारी एजेंसियां तो वही है सर और सारे लोग भी वही तो इतना बदलाव कैसे हुआ,
बदलाव हुआ नरेन्द्र भाई मोदी की नीति और साफ नीयत के कारण, उन्होंने इस देश के एक एक आम आदमी की जान को खुद से ज्यादा जरूरी समझ कर ठोस कदम उठाए!!

जिन सीमा पार के आतंकियों को आप डोजियर पे डोजियर भेजा करते थे सर, उन सीमा पार नरेन्द्र भाई ने डोजियर भेजना बंद कर वहां सीधे सेना भेजना शुरू किया,
उरी के हमलों के बाद, चाहे पुलवामा के हमले के बाद,
हमारी सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से पूरी दुनिया ने हमारी ताकत देखी, हमारा लोहा माना,
पूरी दुनिया ने नया भारत देखा, जो डोजियर नही भेजता सीधे अंदर घुस कर मारता है!!
कश्मीर में इस वर्ष की शुरुवात से अभी तक हमारी सेना 100 से ज्यादा आतंकियों और उनके आकाओं को जहन्नुम रवाना कर चुकी है!!

अब आते है वर्तमान चीन के मुद्दे पर,
सर ये सब आपकी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों की मेहरबानी है जो 1962 के बाद से सीमाओं को आपने यूँ ही छोड़ रखा था,
नरेन्द्र भाई ने उन सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने वहां कई रणनीतिक पुल और हाईवे बनाये, चीन की कोफ्त का वही सबसे बड़ा कारण बना,
आप आपकी पार्टी और आपके पूर्ववर्ती नेता चीन के जिस डर से बॉर्डर पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करना जरूरी नही समझते थे, 
उन सीमावर्ती राज्यो के लोगो को ऐसे ही बिना किसी सुविधाओ के छोड़ रखा था,
आपके वो कर्म आपके कर्तव्यहीनता की सबसे बड़ी कहानी कहते है सर,
38 हजार स्केवयर किमी जमीन जो कि स्विट्जरलैंड के क्षेत्रफल से भी ज्यादा है चीन को देकर और बिना कोई युद्ध किये आधा कश्मीर पाकिस्तान को परोस कर आपके जिन पूर्ववर्ती नेताओ ने खुद को भारत रत्न से नवाजा उनकी अगली पीढ़ी होने के नाते सीमा विवाद पर आपके मुंह से ये सारी बाते शोभा नही देती सर!!

पूरी दुनिया को पता लग चुका है चीन बैकफुट पर है,
हमारे जवानों ने अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए, उनकी लगभग एक कमांड निपटा डाली,
आज चीन हम से सीमा विवाद पर बार बार मीटिंग करने की गुजारिश कर रहा है,
आपने लिखा है कि हम इतिहास के एक नाजुक मोड़ पर खड़े है,
आप इतिहास छोड़कर वर्तमान में आइये सर,
और देखिए हम नया इतिहास बनाने के मोड़ पर खड़े हैं,
ये 1962 वाला नही 2020 का भारत है,
जो बलिदान देना भी जानता है, और बलिदानियों का बदला लेना भी,
यकीन रखियेगा किसी भी वीर हुतात्मा का बलिदान व्यर्थ नही जाएगा,

ये नेहरू जी की नही नरेन्द्र भाई मोदी की सरकार है,
जो देश के प्रति की गई कोई भी हिकारत न तो भूलती है,
न माफ करती है!!

आप लोगो की सबसे बड़ी कुंठा का विषय ये है कि,
इस नरेन्द्र भाई मोदी की सरकार ने यहां कोरोना को भयवाह रूप लेने से भी रोक दिया और अब चीन को भी घुटनो पर ला रही है!!

अपने जारी बयान में एकतरफ आप लिखते है, यही समय है जब पूरे राष्ट्र को एकजुट होना है तथा संगठित होकर इस दुस्साहस का जवाब देना है
लेकिन दूसरी तरफ आपकी पार्टी, और आप का युवराज चीनी प्रवक्ताओं की तरह बयान दिए जा रहे हैं, 
देश के साथ साथ सेना का मनोबल तोड़ने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं,
इसे यही रोक कर देश के साथ खड़े हो जाइये सर, 
नही तो आने वाली पीढियां और इतिहास कभी भी आपको और आपकी पार्टी द्वारा की गई गद्दारी को माफ़ नही करेगा

देश में कोरोना के प्रति उदासीनता लोगो मे भारी क्षति पहुंचाएगी

  • *व्यापारियों की मुनाफाखोरी की भूख बन सकती है बड़ी मुसीबत*
बाजार खुलने से अगर बड़े कोरोना मामले तो कौन होगा जिम्मेदार ?
*लेखक: ए पी चौहान*
नई दिल्ली। देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या से जनता में दहशत का माहौल बनता जा रहा है जो देश शुरुआत में कोरोना को हराता दिख रहा था , अब वह कोरोना महामारी के आगे सरेंडर होता दिख रहा है। कोरोना से लड़ने की सारी तैयारियां पूरी तरह फेल होती जा रही हैं आखिर कहां चूक हुई जो हालात दिनों-दिन बिगड़ते जा रहे हैं यह सबसे बड़ा सवाल है, पीएम ने देश में बढ़ते कोरोना मामले देखकर देश की जनता से कोरोना को हराने के लिए 21 दिन मांगे थे, इस दौरान‌ दीए जलाने से लेकर थाली भी बजवाकर जश्न मनवा दिया लेकिन जो हालात हैं वह सबके सामने हैं।

*आखिर प्रशासन की मेहनत पर किसने फेरा पानी ?.....*
देश को कोरोना से बचाने के लिए पीएम मोदी  ने पूरे प्रशासनिक अमले के साथ दिन-रात एक कर जी-जान लगा दी , लेकिन हालात कुछ भी हो फिर भी उनकी मेहनत को दरकिनार नही किया जा सकता लेकिन कुछ  लोग देश में बढ़ रहे कोरोना मामले का दोष प्रशासनिक अधिकारियों के सर मढ़ने का काम कर रहे हैं। 

*इसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर देश में बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों के लिए जिम्मेदार कौन है?*
तो इसका जवाब है कि इसके जिम्मेदार हर वह व्यक्ति है जो अपने निजी स्वार्थों के लिए लाॅकडाउन में भी नियमों को दरकिनार कर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। लाॅकडाउन के चलते काम-धंधे बंद होने से गरीबों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजी-रोटी का इंतजाम करना है लेकिन ऐसे में देखा जा रहा इस मुश्किल दौर में हर एक गरीब व्यक्ति शासन और प्रशासन के साथ खड़ा नजर आ रहा है तो वहीं आज वह सम्पन्न वर्ग दिल्ली एनसीआर और दूसरे राज्यों से पैदल आ रहे गरीबों को गालियां बक रहे थे , और ज्ञान बांट रहे थे कि दिल्ली में क्या ऐसी-तैसी करा रहे थे जो एक महीना बैठकर नहीं खा सकते दरअसल वह सम्पन्न वर्ग गरीबों को गालियां इसलिए नहीं बक रहे थे कि वह भूखे-प्यासे पैदल चल रहे थे , इस सम्पन्न वर्ग की दिक्कत यह थी कि चाहे कुछ भी हो लेकिन सरकार की आलोचना  हो पाए क्योंकि चापलूस जो ठहरे , हम बात कर रहे हैं आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यापारी वर्ग की, यह वो ही व्यापारी वर्ग है जो भाजपा और मोदीजी को इस तरह दिखाना चाहते हैं कि इस नेतृत्व में देश में चहुंओर विकास की गंगा बह रही है।
लेकिन देश का व्यापारी वर्ग बाजार बंद होने से इस तरह बिलबिला रहा है जैसे देश
में सबसे ज्यादा गरीबी से यही वर्ग जूझ रहा है और प्रशासन पर फलाने अध्यक्ष ढिकाने अध्यक्ष बनकर बाजार खोलने के लिए दबाव बना रहे हैं तो ऐसे में व्यापारी वर्ग जो यह कहता है कि भाजपा सरकार में विकास की गंगा बह रही है उसकी हालात इतनी खराब हो चुकी है कि अब बाजार खुले बिना रह नहीं सकता है इससे तो यह साबित हो रहा है कि कोरोना काल में भाजपा सरकार में गरीब ही नहीं व्यापारी वर्ग के हाथ में भी कटोरा आ गया है।
जब पूरा शहर कोरोना से दहशत में है तो व्यापारी वर्ग बाजार खोलने के लिए क्यों इतना उतावला है कहीं मुनाफाखोरी के चक्कर में व्यापारी वर्ग बाजार खोलने के लिए प्रशासन पर तबाव तो नहीं बना रहा है क्योंकि लाॅकडाउन के दौरान दुकानों पर जिस तरह मनमाने तरीके से इस मुश्किल दौर में भी मूल्य से अधिक रेट पर वस्तुएं बेची गई और बेची जा रही हैं यह किसी से छिपा नहीं है।
*माना व्यापारियों की मांग पर प्रशासन बाजार खुलने की अनुमति देदे तो ऐसे हालात में बाजार खुलने से कोरोना के मामले बढ़ते हैं तो इसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी होगी व्यापारी वर्ग की या प्रशासन की ?*

Thursday, June 25, 2020

आसाराम बापू के प्रति श्रद्धाजंलि, जो लोग हिंदुत्व का झंडाबरदार समझते हैं

आपका हिंदुत्व को लेकर सोच सही मगर आप एक अपराधी के पक्ष खड़े होना सही नहीं है क्योंकि जिस लड़की की इनबोल्वेशन थी वह क्या झूठ थोड़े थी ,ठीक है आप हिंदुत्व के झंडाबरदार हो सकते हैं लेकिन इतना भी न गिरो कि सँभलने का मौका भी नहीं मिले ।जो व्यक्ति जैसा आचरण करता उसे वैसे ही सजा का प्रावधान भी है।
अब बात करते हैं हैं बापू जी की जो एक इंसान न होकर अपने आप को भगवान मानने लगे तो उस पर उंगली उठेगी, इसमें कोई शक नहीं ।
माना कि हिंदुत्व के खिलाफ साजिश हो सकती है मगर इतना भी नहीं कि सब बनाबटी हो कुछ तो किया होगा बगैर किए व्यक्ति अपराधी नही हो सकता ।
भारत के संबिधान पर भरोसा तो होगा ही , आपने प्रज्ञा ठाकुर की बात कही वह भी उसी दायरे के अंतर्गत बाहर आई और निर्दोष साबित हुई ऐसा तो नही कि उल जलूल उदाहरण देकर आमजन को भरमाए जो किसी भी दशा में सही नही ।
 दूसरी बात यह कि नारायण साई की पत्नी तक ने इल्जाम लगाया क्या वह भी किसी दवाव में आशाराम बापू के खिलाफ शिकायत पुलिस को की ,आप सब सबूतों को कैसे झुठला सकते हैं ।
देश की जनता को हिंदुत्व के नाम पर बरगलाते रहेंगे ।रह गई बात हिंदुत्व को साजिश के तहत खत्म कर दिया जाएगा तो आप का बहम है 800 साल मुगल हिंदुत्व को खत्म नही कर पाए 200 वर्ष में फिरंगी बार नही उखाड़ पाए तो अब किसकी ओकात जो हिंदुत्व को उखाड़ फेंके ।
हाँ लोगो की दुकान जरूर बन्द हो गई जो लोगो को भड़काकर अपना उल्लू सीधा करते रहें हैं ।
धन्यवाद
    हिंदुत्व योद्धा 
        जय श्री राम

वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र

 वनतारा गुजरात के जामनगर स्थित लगभग तीन हजार पांच सौ एकड़ का दुनिया का सबसे बड़ा पशु बचाव, पुनर्वास और संरक्षण केंद्र है। इसका प्रबंधन उद्यो...